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पत्र 4

मुझे गिल्ली-डंडा, गोली-कंचे खेलना बहुत पसंद है। पर आजकल मेरे घरवाले मुझे खेलने नहीं जाने देते। कहते हैं कि मैं लड़की हूँ और बड़ी हो रही हूँ, इसलिए यह सब बंद करना होगा। माँ कहती है, ‘‘अब घर के काम में हाथ बँटाना सीखो और लड़कों के साथ फुदकना बंद करो। आस-पड़ोस के लोग तुम पर ताने कस रहे हैं।” इन पड़ोसियों को मेरी ज़िंदगी में दखल देने की क्या ज़रूरत है? कम से कम माँ को तो मुझ पर भरोसा होना चाहिए। हम खुले मैदान में सबके सामने खेलते हैं। मैं वहाँ कौन-सा गलत काम कर सकती हूँ? तो अब खेल-कूद बंद है। तंग आ गई हूँ मैं। यह तो बहुत ही गलत है। मेरे दोनों बड़े भाई देर तक मैदान में खेलते रहते हैं। उन्हें कोई नहीं रोकता, कोई नहीं कहता कि वे बड़े हो रहे हैं। मैं लड़की हूँ तो क्या मैं खेल नहीं सकती? मैं क्या करूँ?

[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org on 12. Juli 2024 00:58:04]


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