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अपने दोस्तों से इन प्रश्नों के बारे में चर्चा करें-

·         इस लड़के के मन में कौन-सी भावनाएँ उमड़ रही हैं?

·         क्या किशोरावस्था में दोस्तों का महत्त्व बहुत बढ़ जाता है? क्यों?

·         क्या दोस्ती पाने के लिए कभी-कभी अपने मन की आवाज़ के खि़लाफ़ जाकर दोस्तों जैसा व्यवहार करना पड़ता है?

·         क्या कुछ बातें ऐसी होती हैं जो दोस्तों से कही जा सकती हैं पर माँ-बाप या घर के बड़ों से नहीं?

·         क्या आपने कभी इस लड़के की तरह महसूस किया है?

·         आपकी राय में इसे क्या करना चाहिए?

 

 

एक सुझाव: दोस्तों के बरताव से अलग बरताव करना आसान नहीं होता। पर अगर किसी बात के बारे में आपका मन पक्का हो, तो उस पर डटे रहना चाहिए। यहाँ सिर्फ़ आपके सिद्धांतों का नहीं – बल्कि सेहत का भी सवाल है। सिगरेट-शराब और दूसरी तरह के नशे आपकी सेहत और आपकी ज़िंदगी बिगाड़ते हैं। इसलिए इन्हें लेने से इन्कार करना आपका हक़ है। आज नहीं तो कल उन लड़कों को यह समझ आ जाएगी, कि आप अपने इरादों के पक्के हैं। फिर वे आपकी क़द्र करेंगे। इससे आप जैसे दूसरों लोगों को भी, इन चीज़ों के लिए ’ना’ कहने का हौसला मिलेगा।

 

यह सलाह आपको कैसी लगी? यहाँ लिखें।

[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org on 2. Juli 2024 10:17:28]


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