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इस कहानी को पढ़ने के बाद रिमझिम ने बादल से कहा, “मुझे खुशी है कि भाऊ ने शिक्षा का महत्त्व समझा और जीवन में सफल हुआ। आखिर में उसने सही निर्णय लिया। अगर उसने कुछ गलत निर्णय नहीं लिए होते, तो वह ये सब पहले ही हासिल कर सकता था। उसने अपने निर्णयों के परिणामों के बारे में नहीं सोचा था।” “हाँ रिमझिम,” बादल ने कहा, “हम जो भी निर्णय लेते हैं, उनके कोई-न-कोई परिणाम अवश्य होते हैं। मुझे याद है एक बार मुझे हिन्दी की परीक्षा की तैयारी करनी थी। मुझे लगा कि हिन्दी आसान विषय है तो बाद मैं भी पढ़ा जा सकता है। मैंने टीवी देखने और दोस्तों से गप्पें लड़ाने में समय बिगाड़ दिया। इस तरह मैं पढ़ाई को टालता रहा। फिर मेरे पास पढ़ाई के लिए केवल एक दिन बचा था। वैसे तो मुझे हिन्दी में अच्छॆ अंक मिलते हैं, पर उस परीक्षा में मुझे बहुत कम अंक मिले। यह सब मेरे गलत निर्णयों की वजह से हुआ।  मौज-मस्ती करने की जगह, अगर मैंने दस दिन बाद होने वाली परीक्षा पर ध्यान दिया होता, तो आज मैं खुश होता।’’ रिमझिम ने कहा, “वाह बादल, तुमने यह बहुत अच्छी तरह समझाया। कोई भी निर्णय लेने से पहले हमें यह सोचना चाहिए कि हम जीवन में क्या हासिल करना चाहते हैं। हमें सोचना चाहिए, कि हम अभी जो कर रहे हैं, उससे हमें भविष्य में अपने लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी या नहीं। अगर हम खुद पर नियंत्रण नहीं रखेंगे और अपने लक्ष्य पर ध्यान नहीं देंगे, तो हम वही करते रहेंगे जो अभी करने में आसान लग रहा और जिसे करने में मज़ा आ रहा है।
[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org on 24. Februar 2018 20:36:12]


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