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एक अक्लमंद और बूढ़ा उल्लू पेड़ पर बैठकर उनकी बातचीत सुन रहा था। उसने उन्हें बुलाया और कहा, "हम सब में अलग-अलग गुण हैं। हंस पानी में तैर सकता है; तोता इंसानों की आवाज़ निकाल सकता है; मोर नाच सकता है; गौरैया छोटी और फुर्तीली होती है।" कौआ निराश हो गया क्योंकि वह अपने किसी भी अच्छे गुण के बारे में नहीं सोच सका। उसने उल्लू को बीच में टोकते हुए कहा, "मैं बहुत उदास हूँ, स्पष्ट है कि सब पक्षियों में, मैं सबसे दुखी प्राणी हूँ।" उल्लू मुस्कराया और बोला, "क्या तुमने प्यासे कौए की कहानी नहीं सुनी है? कौए समस्याओं को हल करने के लिए कंकरों जैसे औज़ारों का उपयोग कर सकते हैं।" उल्लू ने अपनी बात बढ़ाते हुए कहा, "मुझे देखो, मैं तैर या नाच नहीं सकता, परंतु मैं अंधेरे में भली-भांति देख सकता हूँ। मैं अपनी गर्दन घुमाकर अपने पीछे की चीज़ों को देख सकता हूँ। क्या यह बड़ी बात नहीं है! जब बाकि सब पक्षी दिन में मेहनत से काम में लगे रहते हैं, तब मैं आराम से अपने घोंसले में सोता हूँ। परंतु यदि मुझे तैरने या नाचने को कहा जाता तो मैं यह ठीक से नहीं कर पाता। हम सब कुछ काम बहुत अच्छे से कर लेते हैं, परंतु हर एक काम नहीं। खुद पर तरस खाने के बजाय, हमें मेहनत से वह काम करना चाहिए, जिसमें हम सबसे अच्छे हैं।”
 

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[Contributed by richa.pandey@clixindia.org on 14. September 2025 07:28:31]


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