मुझे अजीब लग रहा था, मेरे जैसी 14 साल की एक लड़की में श्याम चाचा को कौन-से गुण दिखेंगे!
"हाँ...," श्याम चाचा बोले, "मैंने गुड्डी जैसी धीरज वाली ज़्यादा लड़कियाँ नहीं देखी हैं। वह अपनी दादी को घर में चलने-फिरने में मदद करती है और उनसे बातचीत करती रहती है। उसे अपनी बात बार-बार दोहरानी पड़ती है फिर भी वह धैर्य नहीं खोती। वह दूसरों की बात ध्यान से सुनती है और समझने की कोशिश करती है। वह प्रश्न भी पूछती रहती है, जिससे कि वह बातों को स्पष्ट रूप से समझ जाए। वह प्रश्न पूछने में शर्माती नहीं है। उसकी शारीरिक सहन-शक्ति भी अच्छी है। मैं उसे घर में लकड़ी के गट्ठर और पानी से भरी, भारी बाल्टियाँ ले जाते देखता हूँ। फिर वह अपनी दादी और पिता के पैरों की मालिश भी करती है।" मेरे कान लाल हो गए थे, किसी ने भी कभी मेरी इतनी तारीफ नहीं की थी।
मुझे अजीब लग रहा था, मेरे जैसी 14 साल की एक लड़की में श्याम चाचा को कौन-से गुण दिखेंगे!
"हाँ...," श्याम चाचा बोले, "मैंने गुड्डी जैसी धीरज वाली ज़्यादा लड़कियाँ नहीं देखी हैं। वह अपनी दादी को घर में चलने-फिरने में मदद करती है और उनसे बातचीत करती रहती है। उसे अपनी बात बार-बार दोहरानी पड़ती है फिर भी वह धैर्य नहीं खोती। वह दूसरों की बात ध्यान से सुनती है और समझने की कोशिश करती है। वह प्रश्न भी पूछती रहती है, जिससे कि वह बातों को स्पष्ट रूप से समझ जाए। वह प्रश्न पूछने में शर्माती नहीं है। उसकी शारीरिक सहन-शक्ति भी अच्छी है। मैं उसे घर में लकड़ी के गट्ठर और पानी से भरी, भारी बाल्टियाँ ले जाते देखता हूँ। फिर वह अपनी दादी और पिता के पैरों की मालिश भी करती है।" मेरे कान लाल हो गए थे, किसी ने भी कभी मेरी इतनी तारीफ नहीं की थी।