अब मैं सचमुच असमंजस में पड़ गई थी। मैं किस विषय में होशियार थी? मेरी रुचि किस में थी? मैं नहीं जानती थी। स्कूल में मुझे सभी विषय ठीक लगते थे। मुझे सामाजिक विज्ञान पसंद नहीं था, विज्ञान ठीक था। मुझे मानव शरीर के बारे में सीखना पसंद था। गणित ठीक लगता था और यही बात हिन्दी और अँग्रेजी पर लागू होती थी। अपने मुँह पर लगा कलाकंद पोंछते हुए मैंने मास्टर जी से पूछा, "मास्टर जी, मैं पढ़ने में ठीक हूँ और ज़्यादातर विषयों में ठीक-ठाक रुचि रखती हूँ। परंतु मुझे नहीं पता मैं किस विषय में सबसे अच्छी हूँ। मुझे लगभग सभी विषयों में एक जैसे अंक मिलते हैं। मैं कैसे पता लगाऊँ कि किन क्षेत्रों में नौकरियाँ उपलब्ध हैं? मैंने कंप्यूटर ऐनिमेशन और कपड़े डिज़ाइन करने के बारे में कभी नहीं सुना, जिनके बारे में आप बता रहे थे।"
मास्टर जी मुस्कराए और बोले, "हाँ, तुम्हें पता लगाना होगा कि तुम किन विषयों में अच्छी हो और रुचि रखती हो। परंतु मैं केवल विषयों के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ। चलो, श्याम भाई से तुम्हारे बारे में पूछते हैं। श्याम भाई, तुम गुड्डी को रोज़ देखते हो, वह तुम्हारे साथ वाले घर में रहती है, और तुम्हारे परिवार अक्सर मिलते रहते हैं। तुमने उसमें कौन-से गुण देखे हैं?”
[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org on 20. Juli 2024 20:36:37]
अब मैं सचमुच असमंजस में पड़ गई थी। मैं किस विषय में होशियार थी? मेरी रुचि किस में थी? मैं नहीं जानती थी। स्कूल में मुझे सभी विषय ठीक लगते थे। मुझे सामाजिक विज्ञान पसंद नहीं था, विज्ञान ठीक था। मुझे मानव शरीर के बारे में सीखना पसंद था। गणित ठीक लगता था और यही बात हिन्दी और अँग्रेजी पर लागू होती थी। अपने मुँह पर लगा कलाकंद पोंछते हुए मैंने मास्टर जी से पूछा, "मास्टर जी, मैं पढ़ने में ठीक हूँ और ज़्यादातर विषयों में ठीक-ठाक रुचि रखती हूँ। परंतु मुझे नहीं पता मैं किस विषय में सबसे अच्छी हूँ। मुझे लगभग सभी विषयों में एक जैसे अंक मिलते हैं। मैं कैसे पता लगाऊँ कि किन क्षेत्रों में नौकरियाँ उपलब्ध हैं? मैंने कंप्यूटर ऐनिमेशन और कपड़े डिज़ाइन करने के बारे में कभी नहीं सुना, जिनके बारे में आप बता रहे थे।"
मास्टर जी मुस्कराए और बोले, "हाँ, तुम्हें पता लगाना होगा कि तुम किन विषयों में अच्छी हो और रुचि रखती हो। परंतु मैं केवल विषयों के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ। चलो, श्याम भाई से तुम्हारे बारे में पूछते हैं। श्याम भाई, तुम गुड्डी को रोज़ देखते हो, वह तुम्हारे साथ वाले घर में रहती है, और तुम्हारे परिवार अक्सर मिलते रहते हैं। तुमने उसमें कौन-से गुण देखे हैं?”