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मैं पुराने बरगद के पेड़ के नीचे बैठी हुई थी और कलाकंद का दूसरा टुकड़ा खाकर खत्म कर रही थी, जो उस लड़के ने बाँटे थे। उसने 12वीं कक्षा की परीक्षा पास कर ली थी। गाँव में सभी बहुत खुश थे और उसके उज्ज्वल भविष्य के बारे में बात कर रहे थे। मैं अपने बारे में सोच रही थी, 'पहले मुझे 10वीं की परीक्षा में अच्छे अंक लाने होंगे और फिर 12वीं में भी... ताकि मेरा भविष्य भी उज्ज्वल हो और मैं जल्द अपने माता-पिता का सहारा बन सकूँ।'

तभी, श्याम चाचा ने कहना शुरू कर दिया, "उस लड़के को निश्चित रूप से कंप्यूटर की पढ़ाई करनी चाहिए। मेरे भतीजे ने कंप्यूटर की पढ़ाई की और अब वह महीने के पचास हज़ार रुपए कमा रहा है।"

"हो सकता है", मास्टर जी ने कहा, "परंतु यह कई बातों पर निर्भर करता है...साथ ही, इस बात पर कि वह लड़का क्या करना चाहता है? उसकी रुचि किसमें है?”

"बेकार की बात है", श्याम चाचा ने कहा, "यदि आपके पास कंप्यूटर की डिग्री है, तो आपको नौकरी ज़रूर मिलेगी। बैंगलोर में आधे से ज़्यादा लोग कंप्यूटर के क्षेत्र में काम करते हैं, और खूब पैसा कमाते हैं। कुछ वर्षों बाद उनमें से कुछ लोग अमरीका भी चले जाते हैं।"

मैं यह सब सुनकर उत्साहित हुई। मैंने हाईवे पर एक साइबर कैफ़े में कंप्यूटर देखा था। मैंने उस कंप्यूटर पर केवल खेल खेले थे। अब मैं सोच रही हूँ कि शायद मुझे कंप्यूटर ही पढ़ना चाहिए। मैंने फिल्मों में देखा है कि कंप्यूटर कंपनी में काम करने वाले लोग बढ़िया गाड़ियों में घूमते हैं और होटलों में खाते-पीते हैं। वे मॉल (एक बड़ी इमारत जिसमें बहुत सारी दुकानें होती हैं) में खरीदारी करने जाते हैं। मैंने ऐसे जीवन के सपने देखना शुरू कर दिया। हो सकता है मैं भी एक दिन अमरीका चली जाऊँ!

 

[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org on 3. März 2018 11:43:52]


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