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sunita

सुनीता चौदह साल की है। वह राजस्थान के एक गाँव में अपने माता-पिता और दो भाइयों के साथ रहती है। उसके गाँव में केवल बारहवीं तक स्कूल है, कोई कॉलेज नहीं है। अपने मन की सारी बातें वह किसीको बता नहीं पाती इसलिए वे बातें अपनी डायरी लिख देती है। यह है सुनीता की डायरी का एक पन्ना।

                             

अकेले बैठी हुई कई बार यह सोचती हूँ कि कुछ सालों बाद मेरा क्या होगा। कभी-कभी लगता है कि बारहवीं के बाद पढ़ पाऊँगी या नहीं। नेहा मैडम अक्सर मुझे कहती है कि अगर मैं पढ़ाई में थोड़ा और ध्यान दूँ तो बी.ए या बी .कॉम तो कर ही सकती हूँ। सरला बहुत पढ़ाकू है, हमेशा अच्छे नंबर लाती है। उसका भाई कॉलेज जाता है तो शायद उसके पापा उसे भी कॉलेज जाने देंगे। मैंने कल सुना था जब पापा, मम्मी से कह रहे थे कि मेरी शादी के लिए पैसे बचाने लगे हैं। पर वो पैसे मेरी पढ़ाई पर भी तो खर्च कर सकते हैं। आज बुआ जी मिलने आई थी, कहने लगी “हाय, कितनी लंबी होती जा रही है तू! ऎसे ही बढ़ती रही, तो शादी के लिए लड़के ढूँढने में मुश्किल होगी।” ऎसा क्यों है कि मम्मी-पापा ही मेरे लिए लड़का चुनें। कोई मुझसे तो पूछता ही नहीं है कि मुझे क्या करना है।

 

 

[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org on 29. Juni 2025 10:08:58]


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