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स्वप्ना ने राधा को अपने कंधे का सहारा दिया और घर ले गई। वह जैसे ही घर में घुसी, स्वप्ना की माँ ने राधा से कहा, “लेट जाओ बेटा। मैं तुम्हारा घाव साफ कर दूँ।” उनकी आवाज़ सुनकर राधा को सुकून मिला। उन्होंने जब राधा के माथे को सहलाया, तो उसे अपनी दादी की याद आ गई। वह आराम से लेटी रही और स्वप्ना की माँ ने उसके पैर से काँटा निकाल कर पट्टी लगा दी। उसे बेहतर महसूस हुआ।

उसने अपने आस-पास देखा कि स्वप्ना का घर काफी साफ-सुथरा था। स्वप्ना की मेज़ के सामने कंगना रनौत का पोस्टर देख कर राधा मुस्कुराने लगी। उन दोनों की पसंद कितनी मिलती थी। जब उसने खड़े होकर चलने की कोशिश की, तो पता चला कि वह लंगड़ा रही थी। स्वप्ना के पिताजी चुपचाप खड़े सब देख रहे थे। उन्होंने सुझाव दिया, “ऐसे तो स्कूल पहुँचते-पहुँचते शाम हो जाएगी। मेरी साइकिल ले जाओ। मैं खेत तक पैदल चला जाऊँगा”
radha

[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org on 17. November 2024 21:32:41]


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