प्रवचन के बाद मीना, राधा और बाकी लड़कियाँ घर जाने लगीं।
“उस लड़की को ऐसा बचकाना सवाल नहीं पूछना चाहिए था” एक लड़की ने कहा।
“उसने बाबा को गुस्सा दिला दिया” दूसरी बोली।
“वह और कर भी क्या सकती है!” मीना ने कहा। “उसमें तमीज़ नहीं है। कभी कपड़े देखें हैं उसके, हमेशा मैले और पुराने। पता नहीं वह नहाती भी है या नहीं।” यह सुनकर सभी लड़कियाँ हँसने लगीं।
“तभी तो हम उसे अपने आस-पास बैठने या खाने-पीने नहीं देते” एक लड़की ने कहा।
“देखा है वह कहाँ रहती है? ना नल हैं, ना नालियाँ हैं, न टॉइलेट है, पूरे इलाके में बदबू रहती है। और तो और, लोग व जानवर एक ही तालाब में नहाते हैं।”
“छि छि” राधा के मुँह से निकला। राधा को याद आया अभी कुछ दिन पहले ही स्वप्ना ने उसे अपने पापा की साइकल पर बैठने को कहा था। उसका मन तो था, पर अच्छा हुआ उसने मना कर दिया। अगर मीना या बाकी लड़कियों ने उसे स्वप्ना के साथ देख लिया होता तो बहुत बातें बनातीं।
प्रवचन के बाद मीना, राधा और बाकी लड़कियाँ घर जाने लगीं।
“उस लड़की को ऐसा बचकाना सवाल नहीं पूछना चाहिए था” एक लड़की ने कहा।
“उसने बाबा को गुस्सा दिला दिया” दूसरी बोली।
“वह और कर भी क्या सकती है!” मीना ने कहा। “उसमें तमीज़ नहीं है। कभी कपड़े देखें हैं उसके, हमेशा मैले और पुराने। पता नहीं वह नहाती भी है या नहीं।” यह सुनकर सभी लड़कियाँ हँसने लगीं।
“तभी तो हम उसे अपने आस-पास बैठने या खाने-पीने नहीं देते” एक लड़की ने कहा।
“देखा है वह कहाँ रहती है? ना नल हैं, ना नालियाँ हैं, न टॉइलेट है, पूरे इलाके में बदबू रहती है। और तो और, लोग व जानवर एक ही तालाब में नहाते हैं।”
“छि छि” राधा के मुँह से निकला। राधा को याद आया अभी कुछ दिन पहले ही स्वप्ना ने उसे अपने पापा की साइकल पर बैठने को कहा था। उसका मन तो था, पर अच्छा हुआ उसने मना कर दिया। अगर मीना या बाकी लड़कियों ने उसे स्वप्ना के साथ देख लिया होता तो बहुत बातें बनातीं।