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सोनू और रोशन के झगड़े की वजह से खेल खत्म हो गया और सभी बच्चे घर चले गए। ’धूम मचा ले धूम मचा ले धूम..’ सोनू मस्ती से यह गुनगुनाता हुआ अपने घर में घुसा। सोनू की माँ सोच में पड़ गई, कि वह किस बात से खुश था। उसे तो लगा रहा था कि सोनू उदास होगा, क्योंकि उनका खेल बीच में ही बंद हो गया और दोस्त के साथ बहस भी हुई। उसने पूछा, “सोनू तुम तो अपने दोस्त के साथ झगड़ रहे थे, तो फिर इतने खुश क्यों दिख रहे हो?” सोनू ने कहा, “अरे माँ, कोई झगड़ा तो था ही नहीं। रोशन नाराज़ था क्योंकि मैंने उसकी मनपसंद शर्ट फाड़ दी। मिट्टी जैसे भूरा रंग किसीका मनपसंद कैसे हो सकता है!” यह सुनकर उसकी माँ को आश्चर्य हुआ। उसने कहा, “सोनू, तुम्हारा पसंदीदा रंग हरा है, तो इसका यह मतलब नहीं है कि बाकी सारे रंग भद्दे हैं। सबको अपनी पसंद के अनुसार चीज़ें चुनने का अधिकार होता है।” सोनू अपनी माँ की बातें नहीं सुनना चाहता था। वह बुदबुदा रहा था, “हे भगवान, फिर से मेरी माँ ने पाठ पढ़ाना शुरू कर दिया...” उसने टोकते हुए कहा, “माँ, यह रंग-वंग को गोली मारो। मुझे खाना दो। पेट में चूहे दौड़ रहे हैं।” उस रात रोशन ठीक से सो नहीं पाया। वह सोचता रहा, ‘सोनू यह कैसे कह सकता है कि मेरी शर्ट भद्दी है। उसे तो सुंदरता के बारे में कुछ नहीं पता। मैं उसके कपड़ों के बारे में कुछ नहीं कहता, इसका मतलब यह नहीं है कि वह सबसे अच्छा दिखता है।’



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