मॉडल बनाकर उसका अवलोकन करना विद्यार्थियों को जटिल अवधारणाएं समझाने के लिए एक बेहद उपयोगी टूल है। इस गतिविधि में बच्चे अपने आसपास उपलब्ध चीज़ों से परिस्थितिक तंत्र बनाना सीख रहे हैं और साथ ही परिस्थितिक तंत्र के बारे में जो जानकारी उन्होंने हासिल की उसका व्यवहारिक उपयोग भी कर रहे हैं।
इसके अलावा, यह गतिविधि जीव विज्ञान की एक और महत्वपूर्ण अवधारणा से बच्चों का परिचय कराने की कोशिश कर रही है। वह यह है कि जैविक प्रक्रियाएं समय पर निर्भर करती हैं और किसी जैविक तंत्र के अध्ययन के लिए कई दिनों तक उसके अवलोकन की जरूरत पड़ सकती है।
पानी के नमूने को मापने के लिए दी गई सिरिन्ज में बहुत ही कम पानी आ सकता है (सिर्फ 5 मि.ली.)। इससे यह सुनिश्चित होगा कि टीम के हर सदस्य को सिरिन्ज इस्तेमाल करने का मौका मिले। साथ ही, अगली गतिविधि में ऑक्सीजन की जांच करने के लिए हर विद्यार्थी पानी और रसायनिक घोलों के सही-सही मापन में सक्षम हो जाए।
विज्ञान के शिक्षण और उसको सीखने में तुलना एक महत्वपूर्ण टूल है क्योंकि इस प्रक्रिया से विद्यार्थी विविधताओं और समानताओं को समझने में मदद मिलती है। टीम बी द्वारा बनाया गया परिस्थितिक तंत्र एक मॉडल का काम करेगा जिसके अवलोकन से जलीय परिस्थितिक तंत्र के निर्माण और संरक्षण की समझ बनाई जा सकेगी। हालांकि टीम बी द्वारा बनाए गए परिस्थितिक तंत्र में दूसरे सभी अजैविक तत्व मौजूद हैं लेकिन प्रकाश की कमी, जो महत्वपूर्ण अजैविक तत्वों में से एक है, शैवाल के विकास को रोकेगी। इस दौरान, टीम सी के परिस्थिति तंत्र में पोषक तत्वों की मात्रा बहुत कम है जिसके चलते शैवाल का विकास कम होता है और इसके कारण दूसरे जैविक तत्व भी कम पनपते हैं। इन तीनों परिस्थितिक तंत्रों में हो रहे बदलावों की तुलना से परिस्थितिक तंत्र में जीवन की विविधता बनाने में ‘प्रकाश’ और ‘पोषक तत्वों’ जैसे अजैविक तत्वों की भूमिका को उजागर करने में मदद मिलेगी।
जलीय परिस्थितिक तंत्र के तीन अलग-अलग नमूने जो विद्यार्थियों ने क्लास में विकसित किए हैं, उनका अवलोकन करने पर उनके बीच जो अंतर और समानताएं देखने को मिलती हैं उनकी तुलना करने से विद्यार्थियों को यह समझने में मदद मिलेगी कि किस तरह सिर्फ एक अजैविक तत्व में अंतर होने से उस परिस्थितिक तंत्र और उसमें रहने वाले जैविक तत्वों के विकास पर कितना प्रभाव पड़ सकता है। इन बिंदुओं पर चर्चा की जा सकती है। इसके अलावा, तीनों टीमों के अवलोकनों की तुलना करते समय विद्यार्थियों को यह समझने में गाइड करना चाहिए कि खेत में पौधों के विकास को बढ़ाने में खाद की भूमिका पर भी नज़र डालें।
[Contributed by administrator on 10. Januar 2018 21:32:57]
टीचरों के लिए नोटः
मॉडल बनाकर उसका अवलोकन करना विद्यार्थियों को जटिल अवधारणाएं समझाने के लिए एक बेहद उपयोगी टूल है। इस गतिविधि में बच्चे अपने आसपास उपलब्ध चीज़ों से परिस्थितिक तंत्र बनाना सीख रहे हैं और साथ ही परिस्थितिक तंत्र के बारे में जो जानकारी उन्होंने हासिल की उसका व्यवहारिक उपयोग भी कर रहे हैं।
इसके अलावा, यह गतिविधि जीव विज्ञान की एक और महत्वपूर्ण अवधारणा से बच्चों का परिचय कराने की कोशिश कर रही है। वह यह है कि जैविक प्रक्रियाएं समय पर निर्भर करती हैं और किसी जैविक तंत्र के अध्ययन के लिए कई दिनों तक उसके अवलोकन की जरूरत पड़ सकती है।
पानी के नमूने को मापने के लिए दी गई सिरिन्ज में बहुत ही कम पानी आ सकता है (सिर्फ 5 मि.ली.)। इससे यह सुनिश्चित होगा कि टीम के हर सदस्य को सिरिन्ज इस्तेमाल करने का मौका मिले। साथ ही, अगली गतिविधि में ऑक्सीजन की जांच करने के लिए हर विद्यार्थी पानी और रसायनिक घोलों के सही-सही मापन में सक्षम हो जाए।
विज्ञान के शिक्षण और उसको सीखने में तुलना एक महत्वपूर्ण टूल है क्योंकि इस प्रक्रिया से विद्यार्थी विविधताओं और समानताओं को समझने में मदद मिलती है। टीम बी द्वारा बनाया गया परिस्थितिक तंत्र एक मॉडल का काम करेगा जिसके अवलोकन से जलीय परिस्थितिक तंत्र के निर्माण और संरक्षण की समझ बनाई जा सकेगी। हालांकि टीम बी द्वारा बनाए गए परिस्थितिक तंत्र में दूसरे सभी अजैविक तत्व मौजूद हैं लेकिन प्रकाश की कमी, जो महत्वपूर्ण अजैविक तत्वों में से एक है, शैवाल के विकास को रोकेगी। इस दौरान, टीम सी के परिस्थिति तंत्र में पोषक तत्वों की मात्रा बहुत कम है जिसके चलते शैवाल का विकास कम होता है और इसके कारण दूसरे जैविक तत्व भी कम पनपते हैं। इन तीनों परिस्थितिक तंत्रों में हो रहे बदलावों की तुलना से परिस्थितिक तंत्र में जीवन की विविधता बनाने में ‘प्रकाश’ और ‘पोषक तत्वों’ जैसे अजैविक तत्वों की भूमिका को उजागर करने में मदद मिलेगी।
जलीय परिस्थितिक तंत्र के तीन अलग-अलग नमूने जो विद्यार्थियों ने क्लास में विकसित किए हैं, उनका अवलोकन करने पर उनके बीच जो अंतर और समानताएं देखने को मिलती हैं उनकी तुलना करने से विद्यार्थियों को यह समझने में मदद मिलेगी कि किस तरह सिर्फ एक अजैविक तत्व में अंतर होने से उस परिस्थितिक तंत्र और उसमें रहने वाले जैविक तत्वों के विकास पर कितना प्रभाव पड़ सकता है। इन बिंदुओं पर चर्चा की जा सकती है। इसके अलावा, तीनों टीमों के अवलोकनों की तुलना करते समय विद्यार्थियों को यह समझने में गाइड करना चाहिए कि खेत में पौधों के विकास को बढ़ाने में खाद की भूमिका पर भी नज़र डालें।