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Unit 3: The Solar System and Beyond

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4.3 मन्दाकिनियां

शब्दकोष




अगर आप शहर की रोशनी से दूर, किसी अंधेरी जगह जाएंगे, तो आपको आकाश में चित्र 2 जैसी एक हलकी सी चमकीली पट्टी दिख सकती है| इसकी सफ़ेद रोशनी के कारण इसे दुधिया रास्ता या आकाशगंगा कहते हैं|

U3L4_Fig2

चित्र 2: पृथ्वी से देखने पर आकाशगंगा का नजारा

साभार: स्टीव जर्वेटसन- फ्लिकर, सीसी बीवाय 2.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=23906915


प्राचीन काल से ही लोगों ने इस चमकीली पट्टी के बारे में सोचा है और अनुमान लगाया है कि यह क्या हो सकती है| सोलहवीं सदी में गैलिलिओ गैलिली ने पहली बार आकाशगंगा को अपने दूरदर्शी से देखा और पाया कि वह तारों का समूह है| एक दार्शनिक, इमैनुअल कांट, ने अपना यह मत रखा, जो सही निकला: आकाशगंगा बहुत बड़ी संख्या में तारों से बनी हुई है; यह घूर्णन करती हुई एक वस्तु हो सकती है जो सौर मण्डल की ही तरह गुरुत्व बल से एकजुट है, मगर उसमें यह गुरुत्व बल बेहद विशाल पैमाने पर कार्य कर रहां है| हम जो भी तारे आकाश में देखते हैं, वे सभी हमारी आकाशगंगा में हैं| वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा के कई तारों की दूरी निकाली है और इसके आधार पर आकाशगंगा का एक नक्शा बनाया है (चित्र 3)| हमारी आकाशगंगा का आकार एक चपटे चक्के जैसा है जो बीच से उभरा हुआ है| इसके बाहरी ओर कुंडली जैसी भुजाएं हैं| हमारा सूर्य आकाशगंगा के केंद्र से काफी दूर है (नक़्शे में सूर्य का स्थान देखिए)| आकाशगंगा का व्यास 100,000 से 180,000 प्रकाश वर्ष है| क्योंकि पृथ्वी इस चक्के के अन्दर है, इसलिए पृथ्वी से आकाशगंगा एक पट्टी जैसी दिखाई देती है| और क्योंकि हम आकाशगंगा के केंद्र से दूर हैं, इसलिए वह एक ओर से मोटी दिखाई देती है और दूसरी ओर से पतली| इसका अर्थ है कि अपनी कक्षा में जब पृथ्वी आकाशगंगा के केंद्र की ओर होती है, तब हमें आकाशगंगा की मोटी पट्टी दिखाई देती है; मगर 6 महीने बाद जब पृथ्वी कक्षा में दूसरी ओर चली जाती है, तब आकाशगंगा की पतली पट्टी दिखाई देती है|
 

चित्र 3: आकाशगंगा का नक्शा

U3L4_Fig3a
चित्र 3क: ऊपर से नजारा5

साभार: नासा/जेपीएल – कैलटेक/फ़ेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ़ रियो ग्रांड डो सुल - http://photojournal.jpl.nasa.gov/jpeg/PIA19341.jpg, सार्वजनिक डोमेन, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=40704119
 

U3L4_Fig3b
चित्र 3ख: रेखाचित्र (किनारे से नजारा)6

साभार: इंग्लिश विकिपीडिया पर आर जे हॉल द्वारा, सीसी एसए 3.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=52696960


कई वर्षों तक लोग यह सोचते थे कि आकाशगंगा के बाहर कुछ नहीं है| मगर 1920 दशक के शुरुआत में, एडविन हबल नाम के एक वैज्ञानिक ने माउंट विल्सन (अमरीका) स्थित एक शक्तिशाली दूरदर्शी के जरिए अन्य मंदाकिनियों को देखा| हमारी पड़ोसी एंड्रोमेडा मन्दाकिनी का व्यास 2,20,000 प्रकाश वर्ष है और यह पृथ्वी से 25 लाख प्रकाश वर्ष दूर है (चित्र 4)| यह अकेली मन्दाकिनी है जिसे हम नंगी आंखों से देख सकते हैं, मगर पृथ्वी से यह एक मध्यम आकार के तारे की तरह दिखती है|
 

U3L4_Fig4
चित्र 4: सबसे नजदीकी मन्दाकिनी, एंड्रोमेडा, पृथ्वी से 25 लाख प्रकाश वर्ष दूर है

साभार: एडम इवंस – M31, एंड्रोमेडा मन्दाकिनी (एच-अल्फा के साथ)| नॉटफ्रॉमयूट्रेक्ट द्वारा अपलोड की गई, सीसीबी वाय 2.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=12654493
 

अभी तक वैज्ञानिकों ने कई अलग-अलग आकृति और आकार की मन्दाकिनियां देखी हैं|

Watch मन्दाकिनियों के बारे में अधिक सीखने के लिए इस वीडियो को देखें


 

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हाऊ मैनी गैलैक्सीज़ आर देयर? (ब्रह्माण्ड में कितनी मन्दाकिनियां हैं?): 
(https://www.spacetelescope.org/videos/heic1620a/)

5यह आकाशगंगा की वास्तविक तस्वीर नहीं है| हम आकाशगंगा की तस्वीर नहीं ले सकते हैं क्योंकि हम आकाशगंगा से बाहर नहीं जा सकते हैं| यह एक वास्तविक फोटो और नक़्शे को मिलाकर बनाई गई है|

6अंतरिक्ष में सभी दिशाएं एक समान होती हैं; इसलिए आकाशगंगा को ‘ऊपर’ या ‘किनारे’ से देखने का वास्तव में कोई अर्थ नहीं है| सहूलियत के लिए, हम इन शब्दों को वैसे ही इस्तेमाल करते हैं जैसा हम किसी थाली या चक्के के लिए करेंगे|