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Unit 3: The Solar System and Beyond

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1.3 गतिविधि : ग्रहों का परिक्रमण (रोल प्ले)

शब्दकोष




Role रोल प्ले : ग्रहों का परिक्रमण

विधि:

  1. नौ बच्चों का समूह बनाइए| एक बच्चा सूर्य बनेगा और बाकी ग्रह|

  2. हर बच्चे को अपने ग्रह की परिक्रमण अवधि ध्यान से देखकर याद रखनी चाहिए|

  3. ग्रहों के क्रम में एक पंक्ति में खड़े हो जाइए| सूर्य, बुध, ... वरुण (ग्रह इस तरह से एक पंक्ति में कभी नहीं आते हैं पर हम ऐसा उनका क्रम और तुलनात्मक गति समझने के लिए कर रहे हैं)|

  4. पहले पृथ्वी एक परिक्रमण पूरा करे (घूर्णन नजरअंदाज कर दें)| पृथ्वी की गति इतनी होनी चाहिए कि उसका एक परिक्रमण पूरा करने तक बुध चार परिक्रमण पूरा कर ले|

  5. पृथ्वी का परिक्रमण पूरा करने के बाद बाकी ग्रह भी परिक्रमण शुरु कर सकते हैं| बुध को सबसे तेज चलना होगा और शुक्र को बुध से थोड़ा धीमा| पृथ्वी की गति शुक्र से धीमी होगी और मंगल को पृथ्वी से थोड़ा धीमा चलना होगा| बृहस्पति और उससे आगे के ग्रहों को बहुत धीमे चलना होगा| जब पृथ्वी एक परिक्रमण पूरा कर ले तब बृहस्पति को अपनी कक्षा का केवल 1/12वां हिस्सा पूरा करना होगा और वरुण को केवल छोटा कदम लेना होगा|

  6. सूर्य के नजदीक के ग्रहों की परिक्रमण अवधि कम है| उनकी कक्षाएं भी छोटी हैं| सूर्य से दूर जाने पर ग्रहों की परिक्रमण अवधि बढ़ते जाती है| तालिका 1 में आप देख सकते हैं कि धीमे परिक्रमण करने वाले ग्रह सूर्य से बहुत दूर हैं| सूर्य की रोशनी को बृहस्पति तक पहुंचने में 43 मिनट लगते हैं और वरुण तक पहुंचने में 4 घंटे से भी ज्यादा! उनकी कक्षाएं भी बड़ी हैं| इसलिए उन्हें इतनी ज्यादा दूरी पूरा करने में समय भी ज्यादा लगता है|

  7. जब पृथ्वी सूर्य के एक ओर होगी और कोई ग्रह सूर्य के दूसरी ओर, तब वह ग्रह पृथ्वी से नहीं दिखेगा| इसलिए किसी भी रात को हम आकाश में सारे ग्रह नहीं देख पाते हैं|

  8. गौर कीजिए कि कभी-कभी आप बुध या शुक्र को पृथ्वी और सूर्य के बीच में आते हुए देखेंगे| यह सूर्य ग्रहण जैसी ही स्थिति है| मगर क्योंकि आकाश में इन ग्रहों का आभासीय आकार चन्द्रमा से बहुत छोटा है, इसलिए वे केवल सूर्य के वृत्त के सामने से गुजरते हुए दिखाई देते हैं और उसे पूरा नहीं ढक पाते हैं (चित्र 2)| इसे ‘पारगमन’ कहते हैं और इसका बारीक अवलोकन करना जरुरी है क्योंकि इसी की मदद से हम ग्रहों और सौर कलंकों का आकार निर्धारित कर पाते हैं| मंगल और उसके बाद के ग्रहों से पृथ्वी का भी ऐसा ही पारगमन दिखाई देगा| यह कितना अनोखा नजारा होगा न!

  9. आंतरिक ग्रह (बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल) बाह्य ग्रहों (बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण) से ज्यादा तेजी से परिक्रमण करते हैं| इस कारण से एक वर्ष बाद कुछ ग्रह अपने स्थान से बहुत अलग स्थान पर दिखाई देंगे और कुछ ग्रह लगभग उसी स्थान पर दिखेंगे| दूसरी ओर, एक वर्ष बाद तारे बिल्कुल उसी स्थान पर दिखाई देंगे| इसी से हमें पता चलता है कि एक वर्ष पूरा हो गया है| प्राचीन समय में लोगों ने गौर किया था कि कुछ खगोलीय पिंड आकाश में तारों जैसी गति नहीं करते हैं| प्राचीन लोगों ने यह भी सोचा कि ये ग्रह ज्यादा शक्तिशाली हैं (ज्यादातर ग्रह तारों से अधिक चमकीले हैं और उनसे अलग तरह से गति करते हैं)| इसलिए उन्हें लगा कि ये ग्रह पृथ्वी पर जीवन को भी प्रभावित करते हैं| इसी से ज्योतिष की शुरुआत हुई| मगर अब हम जानते हैं कि ग्रहों कि गति तारों से अलग क्यों होती है और वे उनसे ज्यादा क्यों चमकते हैं! और इतनी दूर स्थित एक निर्जीव वस्तु हमारे जीवन को कैसे प्रभावित कर सकती है? फिर उसका प्रभाव हर इंसान पर अलग-अलग कैसे हो सकता है? इसलिए अगली बार अगर आपसे कोई कहे कि आपकी जिंदगी में कोई घटना किसी ग्रह के प्रभाव के कारण घटी, तो आप उसपर भरोसा करने से पहले सोचिएगा जरुर!

चित्र 2: बुध और शुक्र का पारगमन

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चित्र 2अ: बुध का पारगमन (8 नवम्बर 2006 को खींची गई तस्वीर)

(साभार: नासा - http://www.nasa.gov/vision/universe/solarsystem/20oct_transitofmercury.html वेबसाइट पर http://www.nasa.gov/images/content/162385main_Merctransit2006_sm.jpg, सार्वजनिक डोमेन, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=1355554)
 

U3L1_Fig2b
चित्र 2ब: शुक्र का पारगमन (8 जून 2012 को खींची गई तस्वीर)

(साभार: नासा - https://www.nasa.gov/mission_pages/sdo/multimedia/gallery/venus-transit-2012-first.html)
 

Draw     सूर्य के उत्तर ध्रुव से देखने पर सौर मण्डल जैसा दिखेगा उसका चित्र बनाइए| सभी ग्रहों को उनकी कक्षा के साथ दिखाइए (पृथ्वी की तरह सभी ग्रहों की कक्षा लगभग वृत्तीय ही है)| ग्रहों को ऐसे स्थानों पर रखिए ताकि पृथ्वी से देखने पर:

  1. बुध का पारगमन दिखे|
  2. शुक्र सूर्य के पीछे हो (इस स्थिति को संयोजन कहते हैं)|
  3. मंगल सूर्य के साथ संयोजन में हो|
  4. बृहस्पति मध्यरात्रि में आकाश के शीर्षबिंदु पर दिखाई दे|
  5. शनि मध्यरात्रि में उदय होता हुआ दिखाई दे|
  6. अरुण मध्यरात्रि में अस्त होता हुआ दिखाई दे|
  7. वरुण सूर्यास्त के समय आकाश के शीर्षबिंदु पर दिखाई दे| 

चित्र बनाने के लिए अपनी नोटबुक को उपयोग में लें। जिस पृष्ठ पर आप चित्र बना रहे हैं, उस पर कृपया निम्नलिखित को लिखें – खगोल विज्ञान मॉड्यूल : इकाई 3 : पाठ 1: गतिविधि 1और लॉगिन आईडी।

हमारे पास ग्रहों के बारे में जो जानकारी मौजूद है वह उन कृत्रिम उपग्रहों के जरिए प्राप्त हुई है जो हमने अभी तक अंतरिक्ष में भेजे हैं| ग्रहों के बारे में और भी रोचक तथ्य हैं| आंतरिक ग्रहों की सतह ठोस है (तरल पदार्थ के साथ या उसके बगैर)| इसलिए उन्हें ‘स्थलीय ग्रह’ या ‘चट्टानी ग्रह’ कहते हैं| बाह्य ग्रह इनसे बहुत बड़े हैं और गैसों से बने हैं, इसलिए उन्हें ‘गैस दानव’ कहा जाता है| बृहस्पति और शनि गैसों से बने हैं (मुख्यतः हाइड्रोजन और हीलियम से) और अरुण व वरुण अलग-अलग प्रकार की बर्फ (जमी हुई गैसें) से बने हैं|


आंतरिक ग्रह

  1. बुध हमारे सौर मण्डल का सबसे छोटा, हल्का और तेज गति वाला ग्रह है| उसका कोई वायुमण्डल नहीं है| सूर्य के सबसे नजदीक होने के कारण इसके जिस भाग में दिन होता है उसका तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाता है (लगभग 427° सेल्सियस)| मगर वायुमण्डल न होने के कारण यह रात में बहुत ठंडा भी हो जाता है (लगभग -173° सेल्सियस)| इसलिए बुध ग्रह पर दिन और रात के तापमान के बीच का अंतर सबसे ज्यादा है|

  2. बुध के बाद स्थित शुक्र ग्रह बादलों से ढका हुआ है| सूर्य की रोशनी इन बादलों से टकराकर वापिस लौट जाती है और इसीलिए यह इतना चमकीला दिखाई देता है! बादलों के कारण सूर्य से मिली गर्मी उनके नीचे शुक्र पर ही कैद हो जाती है जिससे शुक्र सौर मण्डल का सबसे गर्म ग्रह बन जाता है (अधिकतम तापमान 462° सेल्सियस)| शुक्र पृथ्वी जितना ही बड़ा है| उत्तरी ध्रुव के ऊपर से देखने पर सभी ग्रह घड़ी की विपरीत दिशा में घूर्णन करते हैं, मगर केवल शुक्र ऐसा ग्रह है जो घड़ी की दिशा में घूर्णन करता है| जरा कल्पना कीजिए कि शुक्र से सूर्य और तारे आकाश में किस तरह गति करते हुए दिखाई देंगे!

  3. पृथ्वी वह ग्रह है जिसपर हम रहते हैं| इसकी सतह ठोस है, इसके सतह के अधिकतर भाग पर पानी है और इसके चारों ओर लगभग 100 किमी मोटाई का वायुमण्डल है| जाहिर है कि हम पृथ्वी के बारे में इससे कहीं ज्यादा जानते हैं! मगर पृथ्वी का अध्ययन करने के लिए विज्ञान की एक अलग शाखा है जिसे ‘भूविज्ञान’ या ‘भौमिकी’ कहते हैं|

  4. मंगल की सतह पर आयरन-ऑक्साइड (जंग लगा लौह) मौजूद है जिसकी वजह से यह लाल दिखता है| इसके दोनों ध्रुवों पर बर्फ की परत है|

बाह्य ग्रह

  1. बृहस्पति सौर मण्डल का सबसे बड़ा और भारी ग्रह है| दूरदर्शी से देखने पर इसपर एक लाल धब्बा दिखाई देता है| यह एक तूफ़ान है जो पिछले 350 वर्षों से लगातार चल रहा है| इस तूफ़ान का व्यास पृथ्वी के व्यास का तिगुना है| इसे ‘ग्रेट रेड स्पॉट’ (‘विशाल लाल धब्बा’) कहते हैं|

  2. शनि अपने छल्लों (वलयों) के लिए प्रसिद्ध है| इसके नौ छल्ले हैं जो धूल और बर्फ से बने हैं| इन छल्लों की अधिकतम मोटाई केवल 1 किमी है! शनि भी एक गैस दानव है| इसका घनत्व लगभग 0.7 ग्राम/सेमी3 है जोकि पानी के घनत्व से कम है| मानक ताप और दाब पर शुद्ध पानी का घनत्व 1 ग्राम/सेमी3 होता है| इस कारण शनि सबसे कम घनत्व वाला ग्रह है|

  3. सूर्य से बहुत दूर होने के कारण अरुण बेहद ठंडा है| यह हाइड्रोजन, हीलियम, और कुछ मात्रा में मीथेन और अमोनिया से बना है| पृथ्वी पर ये तत्व और यौगिक गैस अवस्था में होंगे पर अरुण पर ये ठण्ड से जमकर ठोस अवस्था में हैं| अरुण की धुरी इतनी झुकी हुई है कि यह लगभग अपने कक्षीय तल पर लेटी हुई है| तो क्या अरुण पर दिन और रात होंगे? क्या उसपर ऋतुएं आएंगी? अगर हां, तो वे किस तरह के होंगे?

  4. वरुण का वायुमंडल बहुत तूफानी है| सौर मंडल में सबसे तेज हवाएं वरुण पर ही चलती हैं (2,100 किमी प्रति घंटा)| इसपर बृहस्पति के ग्रेट रेड स्पॉट जैसा ही एक ‘ग्रेट डार्क स्पॉट’ (‘विशाल काला धब्बा’) है|

चित्र 3: सौर मण्डल के ग्रहों की तस्वीरें

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चित्र 3क: बुध

(साभार: नासा -  https://solarsystem.nasa.gov/planets/mercury/galleries)

 

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चित्र 3ख: शुक्र

(साभार: नासा - http://photojournal.jpl.nasa.gov/catalog/PIA00104, सार्वजनिक डोमेन, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=11826)

 

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चित्र 3ग: पृथ्वी; एकमात्र ग्रह जो रात में जगमगाता है!

साभार: मिगेल रोमान के सुओमी एनपीपी वीआईआईआरएस आंकड़ों की मदद से जोशुआ स्टीवेंस की नासा अर्थ ऑब्जर्वेटरी में तस्वीर, नासा गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर

 

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चित्र 3घ: मंगल

(साभार: ओसिरिस टीम के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष अभिकरण और मैक्स-प्लैंक इंस्टिट्यूट फॉर सोलर सिस्टम रिसर्च द्वारा ESA/MPS/UPD/LAM/IAA/RSSD/INTA/UPM/DASP/IDA - http://www.esa.int/spaceinimages/Images/2007/02/True-colour_image_of_Mars_seen_by_OSIRIS, सीसी- एसए 3.0-आईजीओ द्वारा, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=56489423)



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चित्र 3 ङ: बृहस्पति

(साभार: नासा, ईएसए और ए. साइमन (गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर)- http://www.spacetelescope.org/images/heic1410a/ या http://hubblesite.org/newscenter/archive/releases/2014/24/image/b/, सार्वजनिक डोमेन, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=32799232)



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चित्र 3च: शनि

(साभार: नासा / जेपीएल / स्पेस साइंस इंस्टिट्यूट - http://www.ciclops.org/view/5155/Saturn-Four-Years-On http://www.nasa.gov/images/content/365640main_PIA11141_full.jpg http://photojournal.jpl.nasa.gov/catalog/PIA11141, सार्वजनिक डोमेन, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=7228953)

 

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चित्र 3छ: अरुण

(साभार: नासा/जेपीएल-कैलटेक - http://web.archive.org/web/20090119235457/http://planetquest.jpl.nasa.gov/milestones_show/slide1.html (तस्वीर का लिंक) http://photojournal.jpl.nasa.gov/catalog/PIA18182 (छवि का लिंक), सार्वजनिक डोमेन, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=5649239)

 

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चित्र 3ज: वरुण
(साभार: नासा – जेपीएल की तस्वीर, सार्वजनिक डोमेन, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=640803)
 


 

चलो चर्चा करते हैं

1. क्या आपके विचार से खगोलीय पिंड (जैसे ग्रह, पुच्छल तारे) या खगोलीय परिघटनाएँ (ग्रहण, उल्कापिंड बौछारें) हमारे जीवन को प्रभावित कर सकती हैं?
क्या आपके विचार से ये जानवरों या पेड़ों के जीवन को भी प्रभावित कर सकती हैं? यदि हाँ, तो कारण बताएँ, यदि नहीं तो अपनी प्रतिक्रिया दें।

 
2. खगोल विज्ञान से संबन्धित अंधविश्वासों की सूची बनाएँ। (शुरू में अपने उत्तर की सीमा केवल एक नाम तक रखें, ताकि प्रत्येक को मौका मिल सके।
यदि एक सप्ताह के बाद सूची अपूर्ण रहती है तो जितने नाम आप जानते हैं बताएँ, परंतु उत्तर को दोहराएँ नहीं।)