इकाई 1 और इकाई 2 में आपने पृथ्वी और उसके प्राकृतिक उपग्रह चन्द्रमा के बारे में सीखा| पृथ्वी के अलावा कुछ अन्य खगोलीय पिंड भी हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं, जैसे ग्रह, ग्रहों के प्राकृतिक उपग्रह, बौने ग्रह, क्षुद्रग्रह, इत्यादि| सूर्य व इन सभी पिंडों को एक साथ ‘सौर मण्डल’ कहा जाता है| आइए सौर मण्डल के कुछ महत्वपूर्ण सदस्यों के बारे में सीखें|
सूर्य
सूर्य एक तारा है, यानी वह ऊर्जा पैदा करता है| ब्रह्माण्ड में बहुत सारे तारे हैं| सूर्य उनमें से केवल एक तारा है! वह न तो बहुत बड़ा है और न बहुत छोटा| वह हमारी मन्दाकिनी के केंद्र से बहुत दूर है (हम मन्दाकिनियों के बारे में पाठ 4 में सीखेंगे)| वह किसी भी तरह से ख़ास नहीं है! किसी भी अन्य तारे की तरह सूर्य का द्रव्यमान बहुत ज्यादा है और वह सौर मण्डल के सभी ग्रहों और अन्य छोटे पिंडों पर गुरुत्व बल लगाता है| इसीलिए सौर मण्डल की सभी वस्तुएं सूर्य की परिक्रमा करती हैं|
एक साधारण तारा होने के बावजूद सूर्य बहुत ज्यादा मात्रा में ऊर्जा पैदा करता है| सूर्य की वजह से ही हमें प्रकाश, ऊष्मा और अन्य प्रकार की ऊर्जा मिलती हैं| पर सूर्य इतनी ऊर्जा बनाता कैसे है? सूर्य अधिकतर हाइड्रोजन (1H) से बना है जो सबसे हल्का तत्व है| जब चार हाइड्रोजन परमाणुओं के नाभिक जुड़ते हैं तो दूसरा सबसे हल्का तत्त्व, हीलियम (2He) बनता है| हीलियम के एक नाभिक का द्रव्यमान हाइड्रोजन के चार नाभिकों से थोड़ा कम होता है| ऐसा इसलिए है क्योंकि बदलाव की इस क्रिया में पदार्थ का छोटा सा हिस्सा बहुत ज्यादा ऊर्जा में बदल जाता है| इसे ‘नाभिकीय संलयन’1 कहते हैं| यह क्रिया सूर्य में लगातार चलती है जिसकी वजह से उसमें लगातार विस्फोट होते रहते हैं| इस कारण सूर्य बेहद गर्म है (उसके गर्भ का तापमान लगभग 1.57X107 केल्विन है और उसकी सतह का तापमान 5772 केल्विन है) और वह अलग-अलग प्रकार की ऊर्जा पैदा करता है (रेडियो तरंगें, सूक्ष्मतरंगें या माइक्रोवेव, अवरक्त या इन्फ्रारेड, दिखने वाले सभी रंगों का प्रकाश, पराबैंगनी या अल्ट्रावायलेट, एक्स-रे)|
सूर्य को ख़ास उपकरणों2 से देखने पर कभी-कभी उसकी सतह पर अचानक से एक चमक दिखती है| इसे सौर प्रज्वाल या सौर लपट कहते हैं| सूर्य की सतह पर धब्बे भी दिखाई देते हैं (जिन्हें सौर कलंक या सौर धब्बे कहते हैं)| धब्बे वाले हिस्से सूर्य की बाकी सतह से थोड़ा कम गर्म हैं| सूर्य का करीब से नजारा देखने के लिए चित्र 1 देखिए|
चित्र 1: सूर्य का करीब से नजारा चित्र 1अ: सूर्य की सतह और एक सौर प्रज्वाल/ सौर लपट (9 जून 2002 को खींची गई तस्वीर)
चित्र 1ब: सौर कलंक/ सौर धब्बे (सितम्बर 2011 में खींची गई तस्वीर)
(साभार: नासा- http://www.dailymail.co.uk/sciencetech/article-2042428/Best-auroras-seen-Britain-thanks-huge-solar-flares.html, सार्वजनिक डोमेन, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=16800815)
1पदार्थ की एक निश्चित मात्रा से जितनी ऊर्जा बनती है, वह आइन्स्टाइन के प्रसिद्ध समीकरण E=mc2 द्वारा बताई जाती है (‘E’ ऊर्जा की वह मात्रा है जो पदार्थ की ‘m’ मात्रा से पैदा होती है और ‘c’ प्रकाश की गति है)| अगर आपको जानना है कि यह समीकरण कैसे निकाला गया और यह कैसे काम करता है, तो आपको उन्नत भौतिकी सीखनी होगी!
2सूर्य को कभी भी नंगी आंखों से या दूरदर्शी से न देखें| इससे आपकी आंखों को नुकसान हो सकता है या आप अंधे भी हो सकते हैं! हमें सूर्य को देखने के लिए ख़ास उपकरण चाहिए होते हैं| इनका इस्तेमाल किसी जानकार वयस्क की उपस्थिति में ही करें|
शब्दकोष
परिचय
इकाई 1 और इकाई 2 में आपने पृथ्वी और उसके प्राकृतिक उपग्रह चन्द्रमा के बारे में सीखा| पृथ्वी के अलावा कुछ अन्य खगोलीय पिंड भी हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं, जैसे ग्रह, ग्रहों के प्राकृतिक उपग्रह, बौने ग्रह, क्षुद्रग्रह, इत्यादि| सूर्य व इन सभी पिंडों को एक साथ ‘सौर मण्डल’ कहा जाता है| आइए सौर मण्डल के कुछ महत्वपूर्ण सदस्यों के बारे में सीखें|
सूर्य
सूर्य एक तारा है, यानी वह ऊर्जा पैदा करता है| ब्रह्माण्ड में बहुत सारे तारे हैं| सूर्य उनमें से केवल एक तारा है! वह न तो बहुत बड़ा है और न बहुत छोटा| वह हमारी मन्दाकिनी के केंद्र से बहुत दूर है (हम मन्दाकिनियों के बारे में पाठ 4 में सीखेंगे)| वह किसी भी तरह से ख़ास नहीं है! किसी भी अन्य तारे की तरह सूर्य का द्रव्यमान बहुत ज्यादा है और वह सौर मण्डल के सभी ग्रहों और अन्य छोटे पिंडों पर गुरुत्व बल लगाता है| इसीलिए सौर मण्डल की सभी वस्तुएं सूर्य की परिक्रमा करती हैं|
एक साधारण तारा होने के बावजूद सूर्य बहुत ज्यादा मात्रा में ऊर्जा पैदा करता है| सूर्य की वजह से ही हमें प्रकाश, ऊष्मा और अन्य प्रकार की ऊर्जा मिलती हैं| पर सूर्य इतनी ऊर्जा बनाता कैसे है? सूर्य अधिकतर हाइड्रोजन (1H) से बना है जो सबसे हल्का तत्व है| जब चार हाइड्रोजन परमाणुओं के नाभिक जुड़ते हैं तो दूसरा सबसे हल्का तत्त्व, हीलियम (2He) बनता है| हीलियम के एक नाभिक का द्रव्यमान हाइड्रोजन के चार नाभिकों से थोड़ा कम होता है| ऐसा इसलिए है क्योंकि बदलाव की इस क्रिया में पदार्थ का छोटा सा हिस्सा बहुत ज्यादा ऊर्जा में बदल जाता है| इसे ‘नाभिकीय संलयन’1 कहते हैं| यह क्रिया सूर्य में लगातार चलती है जिसकी वजह से उसमें लगातार विस्फोट होते रहते हैं| इस कारण सूर्य बेहद गर्म है (उसके गर्भ का तापमान लगभग 1.57X107 केल्विन है और उसकी सतह का तापमान 5772 केल्विन है) और वह अलग-अलग प्रकार की ऊर्जा पैदा करता है (रेडियो तरंगें, सूक्ष्मतरंगें या माइक्रोवेव, अवरक्त या इन्फ्रारेड, दिखने वाले सभी रंगों का प्रकाश, पराबैंगनी या अल्ट्रावायलेट, एक्स-रे)|
सूर्य को ख़ास उपकरणों2 से देखने पर कभी-कभी उसकी सतह पर अचानक से एक चमक दिखती है| इसे सौर प्रज्वाल या सौर लपट कहते हैं| सूर्य की सतह पर धब्बे भी दिखाई देते हैं (जिन्हें सौर कलंक या सौर धब्बे कहते हैं)| धब्बे वाले हिस्से सूर्य की बाकी सतह से थोड़ा कम गर्म हैं| सूर्य का करीब से नजारा देखने के लिए चित्र 1 देखिए|
चित्र 1: सूर्य का करीब से नजारा

चित्र 1अ: सूर्य की सतह और एक सौर प्रज्वाल/ सौर लपट (9 जून 2002 को खींची गई तस्वीर)
(साभार: नासा- https://solarsystem.nasa.gov/galleries/a-handle-on-the-sun)
चित्र 1ब: सौर कलंक/ सौर धब्बे (सितम्बर 2011 में खींची गई तस्वीर)
(साभार: नासा- http://www.dailymail.co.uk/sciencetech/article-2042428/Best-auroras-seen-Britain-thanks-huge-solar-flares.html, सार्वजनिक डोमेन, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=16800815)
1पदार्थ की एक निश्चित मात्रा से जितनी ऊर्जा बनती है, वह आइन्स्टाइन के प्रसिद्ध समीकरण E=mc2 द्वारा बताई जाती है (‘E’ ऊर्जा की वह मात्रा है जो पदार्थ की ‘m’ मात्रा से पैदा होती है और ‘c’ प्रकाश की गति है)| अगर आपको जानना है कि यह समीकरण कैसे निकाला गया और यह कैसे काम करता है, तो आपको उन्नत भौतिकी सीखनी होगी!
2सूर्य को कभी भी नंगी आंखों से या दूरदर्शी से न देखें| इससे आपकी आंखों को नुकसान हो सकता है या आप अंधे भी हो सकते हैं! हमें सूर्य को देखने के लिए ख़ास उपकरण चाहिए होते हैं| इनका इस्तेमाल किसी जानकार वयस्क की उपस्थिति में ही करें|