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Atom in Chemistry

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रसायन शास्त्र की भाषा 1

रासायनिक तत्वों के नाम कैसे रखे जाते हैं 


जैसा कि तुम जानते ही हो, अलग-अलग भाषाओं में पदार्थों के अलग-अलग नाम होते हैं। जैसे लोहे को अँग्रेज़ी में आयरन कहते हैं और ताम्बे को कॉपर। पानी को हम जल, नीर, वॉटर आदि कई नामों से जानते हैं। इस तरह प्रत्येक भाषा में पदार्थों के अलग-अलग नाम होते हैं। रसायन शास्त्र का काम तो पूरी दुनिया में चलता है। इसलिए रसायन शास्त्रियों के लिए ज़रूरी था कि वे एक-दूसरे की बात समझ पाएँ। इसके लिए सबसे पहले पदार्थों के नाम एक-से होने चाहिए। 
 

कई तत्व तो प्राचीन समय से ही पता थे। जैसे लोहा, सोना, चाँदी, पारा, ताम्बा, जस्ता वगैरह। मगर कई तत्वों की खोज काफी देर से हुई है।
 

जब आधुनिक रसायन शास्त्र का विकास हो रहा था तब वैज्ञानिकों के बीच रोम की लैटिन भाषा बहुत प्रचलित थी। इस वजह से अधिकांश तत्वों के नाम लैटिन शब्दों के आधार पर बने हैं। जब कोई नया तत्व खोजा जाता तो खोजने वाला वैज्ञानिक उसे एक नाम दे देता। यही उसका नाम होता था। जैसे, हाइड्रोजन को ही लें। इस गैस का एक गुण है कि यह ऑक्सीजन से क्रिया करके पानी बनाती है। पानी का लैटिन नाम हाइड्रो है। अत: इस गैस को हाइड्रोजन यानी पानी बनाने वाली गैस नाम दिया गया। 
 

इसी प्रकार से हीलियम नामक गैस की खोज सबसे पहले पृथ्वी पर नहीं बल्कि सूरज पर हुई थी। ग्रीक भाषा में सूरज का नाम हीलिऑस है। इसलिए इस गैस का नाम हीलियम रखा गया। 
 

कई तत्वों को उनकी खोज के स्थान के नाम पर भी जाना जाता है। जैसे स्कैण्डिनेवियम, कैलिफोर्नियम आदि। कुछ तत्वों के नाम वैज्ञानिकों के सम्मान में भी रखे गए हैं। जैसे, मेंडेलीव के सम्मान में मेंडेलिवियम।
 

इस मामले में ऑक्सीजन का किस्सा रोचक है। ऐसा माना जाता था कि किसी यौगिक में ऑक्सीजन उपस्थित हो तो उसमें अम्लीय गुण होते हैं। लैटिन में अम्ल को ऑक्सी कहते हैं। इसलिए इस गैस का नाम ऑक्सीजन यानी अम्ल बनाने वाली गैस रखा गया। बाद में पता चला कि यह बात सही नहीं है कि अम्लीय गुण ऑक्सीजन के कारण होते हैं। मगर तब तक नाम प्रचलित हो गया था और उसे बदला नहीं गया। आखिर नाम में क्या रखा है!
 

कई तत्वों के रासायनिक नाम अँग्रेज़ी नाम होते हैं मगर यह कोई ज़रूरी नहीं है। जैसे एल्युमिनियम, कार्बन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन आदि के रासायनिक नाम उनके अँग्रेज़ी नाम ही हैं। मगर लोहे का अँग्रेज़ी नाम तो आयरन है किन्तु रसायन शास्त्र में उसे फेरम कहते हैं। इसी प्रकार से ताम्बे को क्यूपरम कहते हैं।
 

इसके बाद इनके संक्षिप्त रूप बनाए गए। जैसे कार्बन को क् का संकेत दिया गया। ध्यान रहे कि कार्बन का संकेत कैपिटल (बड़ा) क् है। आम तौर पर तत्व के नाम का पहला अक्षर ही उसका संकेत बन गया। जैसे हाइड्रोजन के लिए क्त, ऑक्सीजन के लिए ग्र्, नाइट्रोजन के लिए ग़् वगैरह। 
 

इसमें एक समस्या आती है। कभी-कभी दो तत्वों के नाम का पहला अक्षर एक ही होता है। जैसे कार्बन (carbon), ताम्बा (cuperum), कैल्शियम (calcium) और क्लोरीन (chlorine) के नाम क् से शुरू होते हैं। 
 

तुम्हारे विचार में इस समस्या का क्या हल होना चाहिए? क्या ऐसे तत्वों के नाम बदल देना चाहिए? 
 

ऐसे मामलों में एक की बजाय दो अक्षरों का उपयोग किया जाता है। इसमें से पहला अक्षर तो नाम का पहला अक्षर ही होता है मगर दूसरे अक्षर के लिए नाम का दूसरा या कोई अन्य अक्षर ले लेते हैं। जैसे कार्बन को C, क्यूपरम को Cu, कैल्शियम को Ca और क्लोरीन को Cl संकेत दिए गए हैं। 
 

इनमें भी एक बात ध्यान रखने की है। जब संकेत दो अक्षरों से मिलकर बनता है, तो उसका पहला अक्षर कैपिटल (बड़ा) और दूसरा अक्षर स्माल (छोटा) लिखा जाता है। जैसे कैल्शियम के संकेत में C कैपिटल है और a स्माल। 

[Contributed by administrator on 10. Januar 2018 21:13:45]