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Atom in Chemistry

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तत्व क्या है ?

तत्व क्या है?


आपने पिछले पाठ में आवर्त सारिणी देखी थी। क्या आपको वहां कहीं नमक दिखा ? आपको वहां सोडियम ‘Na’ और क्लोरीन ‘Cl’ ज़रूर दिखे थे न?
 

क्या आपको वहां पानी दिखा था? लेकिन आपको हाइड्रोजन ‘H’ और ऑक्सीजन ‘O’ ज़रूर दिखे थे न ?
 

पृथक्करण

अगर नमक और रेत का मिश्रण पड़ा हो तो आप नमक को इसमें से अलग या पृथक कर सकते हो न?
 

पदार्थों को अलग-अलग करने को पृथक्करण भी कहते हैं। पृथक्करण की ऐसी कई विधियों का उपयोग करके पदार्थों को शुद्ध रूप में प्राप्त किया जाता है। 
 

जब हम कहते हैं कि कोई पदार्थ शुद्ध है तो इसका मतलब यह होता है कि उसमें एक ही पदार्थ है, कोई अन्य पदार्थ मिला हुआ नहीं है। यदि किसी पदार्थ का पृथक्करण दो या दो से अधिक पदार्थों में किया जा सके, तो उस पदार्थ को अशुद्ध यानी मिश्रण माना जाएगा। यदि तमाम तरीकों का उपयोग करें और पदार्थ का पृथक्करण न किया जा सके तो उसे शुद्ध माना जाएगा। 
 

इस परिभाषा की एक समस्या है। समस्या यह है कि किसी भी समय पर हमारे पास पृथक्करण की कुछ ही विधियाँ उपलब्ध होती हैं। कई पदार्थ ऐसे हो सकते हैं जिनका पृथक्करण इन विधियों से न किया जा सके। तब उसे शुद्ध माना जाएगा। मगर आगे चलकर पृथक्करण की किसी नई विधि की खोज होने पर हो सकता है कि उस पदार्थ का पृथक्करण हो जाए। तब उसे अशुद्ध मानना होगा। 
 

जैसे यदि हम कुएँ का पानी लें और उसे छानें तो पूरा पानी छनकर निकल जाएगा। छन्ना कागज़ के ऊपर कुछ नहीं बचेगा। 
 

इस पानी को तुम क्या मानोगे?

मगर यदि इसी पानी को उबालें तो पानी उड़ने के बाद कुछ पदार्थ बचा रहता है।
 

अब इस पानी के बारे में क्या कहोगे? 

पिछली कुछ सदियों के दौरान रसायनज्ञों ने पृथककरण की कई विधियां विकसित की हैं। जिन्हें अलग अलग परिस्थितियों में अलग अलग तरह के पदार्थों पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
 

जैसे कि पानी का विद्युत अपघटन करना। हम जानते हैं कि पानी ‘H’ और ‘O’ से मिलकर बना है। सामान्य ताप और दाब पर हम पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में नहीं तोड़ सकते। लेकिन पानी में विद्युत प्रवाहित की जाती है पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में तोड़ा जा सकता है। लेकिन अब हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को और आगे तोड़ा नहीं जा सकता। इस आधार पर यह माना गया कि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन मूल पदार्थ है। इन मूल पदार्थों को तत्व कहा जाने लगा।

तत्व यानी जो एक सार बिल्कुल एक ही तरह का पदार्थ हो। पृथक्करण करने पर भी उसमें से कोई अन्य पदार्थ नहीं अलग किया जा सकता।

 

इसे आगे समझने के लिए फास्फोरस का उदाहरण लेते हैं।
 

सत्रहवीं सदी की बात है।जर्मनी में एक कीमियागीर थे - हैनरी ब्रांड। वे कीमियागिर थे।

कीमियागिर पारस पत्थर की खोज करने के लिए रसायनों से तरह तरह के प्रयोग किया करते  थे।  ऐसी दंतकथाएं दुनियाभर में हैं कि पारस पत्थर से किसी भी धातु को सोने में बदला जा सकता है। शायद तब कीमियागिरों के बीच यह मान्यता रही हो कि इंसान के मूत्र से पारस पत्थर बनाया जा सकता है। ब्रांड साहब किसी रायानिक विधि की खोज में थे जिसके द्वारा वह मूत्र में से पारस पत्थऱ बना सकें।


मू्त्र से पारस पत्थर अलग करने के लिए उन्होंने निम्न विधि का उपयोग किया। 
 

उन्होंने मूत्र को कई दिनों तक सड़ने दिया। उससे भयंकर बदबू आने लगी। इसे उऩ्होंने तब तक उबाला जब तक कि वह एक गाड़े पेस्ट में नहीं बदल गया। इसे उन्होंने अत्यधिक ताप पर गर्म किया और वाष्प को पानी में से प्रवाहित किया। उन्हें जो मिला वह एक मोम जैसा पदार्थ मिला जो कि अंधेरे में चमकता था।
 

उस समय ज्ञात पृथक्करण के तरीकों से इस प्राप्त पदार्थ से कोई और पदार्थ अलग नहीं किया जा सका। यह पूरा का पूरा एक ही तरह का पदार्थ था। इस तरह इसे तत्व कहा गया और इसका नाम फास्फोरस रखा गया। तत्वों की कड़ी में, यह तेरहवां तत्व था जिसे खोजा गया। 
 

इसी तरह पृथक्करण कर कर के रसायनज्ञ १०३ तत्व खोज पाए। सारी की सारी विविधता इन्हीं तत्वों के मेलजोल से बनती है। 
 

ज़ाहिर है कि एक सवाल का जवाब दूसरे नए सवाल को जन्म देता है। नया सवाल जो पैदा हुआ वह था - कि यह तत्व आखिर किन कणों से मिलकर बने हैं? अगर हाइड्रोजन और ऑक्सीजन अलग अलग तत्व हैं तो उनके बीच में अंतर क्या है? क्या है जो उन्हें भिन्न बनाता है या भिन्न तरह की प्रकृति देता है?
 

लेकिन इस सवाल पर जाने से पहले रसायन सीखने के लिए ज़रूरी एक और औजार को समझते हैं - तत्वों का नाम कैसे रखा जाता है?

[Contributed by administrator on 10. Januar 2018 21:13:34]