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Unit 2: The Moon

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गतिविधि 2: चन्द्रमा की झुकी हुई कक्षा (शारीरिक संकेत)

ग्रहण

गतिविधि 1
 करते वक्त आपको याद होगा कि आपको चन्द्रमा का मॉडल अपने सिर के ऊपर उठाना पड़ा था या खुद थोड़ा झुकना पड़ा था ताकि सूर्य की रोशनी चन्द्रमा पर पड़ती रहे| क्या पृथ्वी वास्तव में सूर्य की रोशनी रोकती है या नहीं? अगर वह रोकती है, तो हमें पूर्णिमा कैसे दिख जाती है?

 

ज्यादातर समय पृथ्वी सूर्य की रोशनी नहीं रोकती है क्योंकि चन्द्रमा और पृथ्वी की कक्षा के तल समान नहीं है| चन्द्रमा की कक्षा का तल पृथ्वी की कक्षा के तल से 5° पर झुका हुआ है| चित्र 3सूर्य-पृथ्वी-चन्द्रमा प्रणाली को किनारे से दिखाता है| पृथ्वी को स्थिति A पर दिखाया गया है और चन्द्रमा की कक्षा के दो चित्र स्थिति A और स्थिति B पर दिखाए गए हैं (सरलता के लिए पृथ्वी को स्थिति B पर नहीं दिखाया गया है)| जैसा कि आप देख सकते हैं, किसी भी स्थान पर चन्द्रमा की कक्षा 5° का कोण बनाती है| इसलिए सूर्य और चन्द्रमा पृथ्वी के एक ओर हों या ठीक विपरीत दिशा में, सूर्य-पृथ्वी को जोड़ने वाली रेखा व चन्द्रमा-पृथ्वी को जोड़ने वाली रेखा के बीच का कोण 0° से 5° तक ही होता है| आइए एक गतिविधि के जरिए इसे और गहराई से समझते हैं|


विधि:

  1. कल्पना कीजिए कि आपका सिर पृथ्वी है| एक दिशा निर्धारित कीजिए जहां से सूर्य की किरणें आ रही हैं|
  2. अपनी बांह को आगे करके उससे चन्द्रमा की कक्षाका पथ दिखाएं| आप इसे कई तरीकों से कर सकते हैं|
चन्द्रमा की कक्षा इस तरह झुकाई जा सकती है कि जब चन्द्रमा और सूर्य पृथ्वी के एक ही ओर हों, तब सूर्य-पृथ्वी को जोड़ने वाली रेखा और चन्द्रमा-पृथ्वी को जोड़ने वाली रेखा के बीच 5° का कोण हो (जैसा चित्र में स्थिति A पर दिखाया गया है)|  यहां आपका हाथ कब सबसे ऊंची या सबसे निचली स्थिति पर होगा, यह इसपर निर्भर करता है कि चन्द्रमा सूर्य की ओर है या सूर्य की विपरीत दिशा में| इस तरह पृथ्वी सूर्य की रोशनी नहीं रोकती है और चन्द्रमा पर कोई परछाई नहीं पड़ती है| जब चन्द्रमा सूर्य के विपरीत होता है, तब पूर्णिमा होती है|

चन्द्रमा की कक्षा इस तरह झुकाई जा सकती है कि सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक सीधी रेखा पर हों, जैसा स्थिति B पर दिखाया गया है| यहां आपका हाथ आपके सिर की ऊंचाई तक ही उठेगा, चाहे चन्द्रमा सूर्य की ओर हो या उसकी विपरीत दिशा में| और आपका हाथ सबसे ऊंची या सबसे निचली स्थिति पर तब होगा जब वह सूर्य की किरणों के लम्बवत होगा| इस बार जब चन्द्रमा अमावस्या या पूर्णिमा के स्थान पर होगा, तब पृथ्वी सूर्य की रोशनी रोकेगी और पृथ्वी की परछाई चन्द्रमा पर पड़ेगी|

Hindi_U2L2_Fig3

चित्र 3: चन्द्रमा की कक्षा पृथ्वी की कक्षा से 5° का कोण बनाती है

 

चन्द्रमा की कक्षा के किसी भी और स्थान पर, जब सूर्य और चन्द्रमा एक ही ओर होंगे या एक दूसरे के विपरीत, सूर्य-पृथ्वी को जोड़ने वाली रेखा और चन्द्रमा-पृथ्वी को जोड़ने वाली रेखा के बीच का कोण 0° से 5° तक ही होगा|

इस तरह ज्यादातर समय चन्द्रमा सूर्य-पृथ्वी को जोड़ने वाली रेखा के या तो ऊपर से गुजरता है या नीचे से, और इसलिए वह हमेशा प्रकाशित रहता है| मगर कभी-कभी उसकी कक्षा ऐसी हो जाती है कि सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं (स्थिति B)| इस स्थिति में पृथ्वी सूर्य की रोशनी रोक देती है और उसकी परछाई चन्द्रमा पर पड़ती है| इन दुर्लभ क्षणों में पूरा चन्द्रमा अंधेरे में होता है| चन्द्रमा का वह भाग जो पृथ्वी से कभी नहीं दिखता और सूर्य की ओर नहीं होता, वह भी सूर्य की रोशनी में नहीं होता| चन्द्रमा का जो हिस्सा पृथ्वी और सूर्य की ओर होता है, उसपर पृथ्वी की परछाई पड़ती है| इससे पूर्ण चन्द्र ग्रहण होता है| अगर आपको चन्द्र ग्रहण देखने का मौका मिले तो उसे छोड़िएगा नहीं! यह एक खूबसूरत नजारा होता है जब पृथ्वी की परछाई चन्द्रमा के ऊपर से गुजरती है| एक रोचक बात यह है कि इस घटना को प्राचीन यूनानी वैज्ञानिक अरस्तु ने इस बात को सबूत के रूप में पेश किया कि पृथ्वी गोलाकार है| अगर पृथ्वी किसी और आकार की होती तो उसकी परछाई हर समय वृत्तीय नहीं होती| उस वक्त बहुत से लोग मानते थे कि पृथ्वी चपटी थाली या चक्के जैसी है| क्या थाली की परछाई हमेशा वृत्तीय होती है? करके देखिए!


कभी-कभी सूर्य-पृथ्वी को जोड़ने वाली रेखा और चन्द्रमा-पृथ्वी को जोड़ने वाली रेखा के बीच का कोण शून्य नहीं होता मगर यह इतना छोटा होता है कि पृथ्वी की परछाई चन्द्रमा के कुछ ही भाग पर पड़ती है| इसे आंशिक चन्द्र ग्रहण कहते हैं (चित्र 4)|


Hindi_U2L2_Fig4

चित्र 4: पूर्णिमा, पूर्ण चन्द्र ग्रहण और आंशिक चन्द्र ग्रहण



आपको गतिविधि 1 करते हुए ध्यान होगा कि अमावस्या के समय चन्द्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच होता है| पूर्णिमा की ही तरह, चन्द्रमा की कक्षा के झुकाव के कारण ऐसा अक्सर नहीं होता है| मगर जब भी ऐसा होता है, तब चन्द्रमा सूर्य को ढक लेता है और हमें सूर्य ग्रहण दिखता है| सूर्य ग्रहण तीन तरह के होते हैं (जैसा चित्र 5 में दिखाया गया है)|

  1. पूर्ण सूर्य ग्रहण: चन्द्रमा पूरे सूर्य को ढक लेता है|
  2. आंशिक सूर्य ग्रहण: चन्द्रमा सूर्य के कुछ भाग को ही ढकता है|
  3. वलयाकार सूर्य ग्रहण: चन्द्रमा सूर्य का अंदरूनी भाग ढक लेता है जिससे एक बाहरी छल्ला (वलय) दिखता है|


चित्र 5: पृथ्वी से दिखता हुआ सूर्य ग्रहण

Total

चित्र 5a: 1999 में पूर्ण सूर्य ग्रहण की फ्रांस से ली गई तस्वीर|

साभार: आय, लुक विऐटूर, CC BY-SA 3.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=1107408

 

Partial
चित्र 5b: 23 अक्टूबर 2014 को आंशिक सूर्य ग्रहण की मिनिऐपोलिस, अमरीका से ली गई तस्वीर|

साभार: टॉमरूएन- निजी कार्य, CC BY-SA 4.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=36349192
 

Annular
चित्र 5c: 20 मई 2012 को वलयाकार सूर्य ग्रहण की नेवाडा, अमरीका से ली गई तस्वीर|

स्रोत: https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Annular_Eclipse._Taken_from_Middlegate,_Nevada_on_May_20,_2012.jpg (CC BY-SA 3.0)


एक चित्र बनाइए जो यह समझाए कि सूर्य ग्रहण कैसे होता है|

 


 

[Contributed by administrator on 10. Januar 2018 21:22:14]