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Lesson 7 : परिस्थितिक तंत्र और कृषि

परिस्थितिक तंत्र और कृषि

इं​सानों ने खेती और पशुपाल की कला व उसके विज्ञान को कई हजार साल में सीखा है।

अ​सल में, खेती में हम परिस्थितिक तंत्र के बारे में अपनी जानकारी, यानी जैविक व अजैविक घटकों के बीच के संबंध और साथ ही विभिन्न जैविक तत्वों की परस्पर क्रिया की जानकारी, का ही उपयोग करते हैं।


ले​किन एक प्राकृतिक परैस्थितिक तंत्र जिसमें अनेक किस्म के जीव प्राकृतिक रूप से पलते और बढ़ते हैं, खेती में कुछ चुनिंदा वनस्पतियां या जानवर ही उगाए या पाले जाते हैं।

किसी भी फ़सल के लिए किसान खुद ही बनाए गए इस परिस्थितिक तंत्र में (यानी खेत में) एक निश्चित समय तक अनुकूल परिस्थितियां बनाए रखने की कोशिश करते हैं। इस दौरान उसमें बीज बोए जाते हैं, पौधे उगते हैं, परागण होता है, फल या अनाज उगता है और फ़सल परिपक्व होती है।

 

जैसा​ कि तुम्हे पता है, धान के खेत में सिर्फ धान के पौधे को ही उगने दिया जाता है और दूसरे पौधों को निकाल दिया जाता है। खेत के परिस्थितिक तंत्र में, जहां धान, गेहूं, सब्ज़ियां आदि बोई जाती हैं, वहां किसान अजैविक घटकों और उत्पादकों के बीच के संबंध को इस्तेमाल करते हैं। मिसाल के लिए, अपने खेत में खाद डालकर वे अपने पौधों के विकास के लिए जरूरी अजैविक घटकों (पोषक तत्वों) की मात्रा को बढ़ाते हैं। इसी तरह, जब वे खेत से कीड़े हटाते हैं तो असल में वे उन उपभोक्ताओं को हटा रहे होते हैं जो पौधों (यानी उत्पादकों) को खाकर उनकी वृद्धि को रोकते हैं। कृषि परिस्थितिक तंत्र को, किसी भी दूसरे कृत्रिम तंत्र की तरह लगातार मानव हस्तक्षेप की जरूर होती है नहीं तो वह विघटित हो जाएगा और फ़सल को नुकसान पहुंचेगा।

 

चलो  धान के खेत के विडियो देखते हैं।​

                                                          ​​Video courtesy:  Tom Kiron


विचार-विमर्श

हम खेत से कुछ पौधों यानी घास-फूस को क्यों उखाड़ देते हैं?​

[Contributed by administrator on 10. Januar 2018 21:33:19]