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Lesson 6 : इंसान और परिस्थितिक तंत्र

इंसान और परिस्थितिक तंत्र

क्या हम इंसान परिस्थितिक तंत्र के बिना भी जीवित रह सकते हैं?  हम इसके हिस्से हैं या हम इसे नियंत्रित करते हैं?

नीचे दिए गए दो चित्रों को देखो। एक में इंसान ढांचे के बिल्कुल ऊपर हैं और दूसरे में वे बाकी जैविक घटकों की ही तरह उसका हिस्सा हैं।

 

यह चर्चा करो कि इसमें से किस चित्र में इंसान को परिस्थितिक तंत्र में ठीक जगह दिखाया गया है।

तुम इंसानों को कहां रखोगे – उत्पादकों में या उपभोक्ताओं में और क्यों?

 

हम इंसान अपनी रोज़मर्रा की जरूरतों के लिए विभिन्न परिस्थितिक तंत्रों में मौजूद अलग-अलग किस्म के जैविक व अजैविक तत्वों पर निर्भर हैं। ऐसी उपयोगी वस्तुएं जिनको हम परिस्थितिक तंत्र से सीधे उपयोग के लिए (जैसे कि पानी) या कुछ दूसरी वस्तुएं बनाने के लिए ले लेते हैं, उनको प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। इनमें से कुछ अजैविक होती हैं जबकि कुछ दूसरी चीज़ें जीवित तत्वों से ली जाती हैं।

पानी, धूप, ऑक्सिजन, धातुएं आदि अजैविक प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। एक सामान्य व्यक्ति को जीवित रहने के लिए एक दिन में लगभग 11,000 लीटर हवा (550 लीटर ऑक्सिजन) और कम-से-कम 2 लीटर पानी की जरूरत होती है। इसके अलावा रोज़मर्रा के जरूरत की विभिन्न वस्तुएं बनाने के लिए हम परिस्थितिक तंत्र से कई तरह के खनिज और धातुएं निकालते हैं। 

 

इसके अलावा, इस धरती पर जीवित रहने के लिए हमें विभिन्न जैविक घटकों (जिनको जैविक प्राकृतिक संसाधन कहते हैं) के मदद की जरूरत होती। विभिन्न प्रकार की फ़सलें (जैसे अनाज, सब्ज़ियां) और मवेशी (भेड़, बकरी, गाय, सूअर) हमें खाद्य सामग्री उपलब्ध कराते हैं। मधुमक्खियां हमारी फ़सलों का परागण (pollination) करती हैं और फ़ूलों को फल में विकसित होने में मदद करती हैं। विभिन्न प्रकार के जीवों से हमें दवाएं (जैसे कि चिकित्सकीय पौधे, फ़ंगस से बने एंटीबायोटिक), कपड़ों की सामग्री (कपास, ऊन) वगैरह भी मिलता है। हालांकि कोयला और पेट्रोलियम, जिसका इस्तेमाल ऊर्जा पैदा करने के लिए किया जाता है जिससे इंसान की तमाम जरूरतें पूरी होती हैं, अजैविक तत्व हैं लेकिन उनको जैविक संसाधनों की श्रेणी में रखते हैं। इसकी वजह यह है कि ये ईधन लाखों साल पहले मिट्टी में दबे हुए पेड़-पौधों व जानवरों से बने हुए हैं। 

 

नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन

 

कुछ प्राकृतिक संसाधन, जैसे कि पानी, प्राकृतिक तौर पर भरे जाते हैं। ऐसे प्राकृतिक संसाधन जिनको वापस भरा जा सकता है उनको नवीकरणीय संसाधान कहते हैं। मगर कुछ किस्म के नवीकरणीय संसाधनों को वापस लाने में लम्बा समय लग सकता है (जैसे कि, जंगल)। यह सही है पेड़ नवीकरणीय संसाधन होते हैं मगर उनको विकसित होने में कई साल लग जाते हैं। 

 

लेकिन गैर-नवीकरणीय संसाधन जैसे कि खनिज, पेट्रोलियम, कोयला आदि का एक बार इस्तेमाल कर लेने के बाद उनको वापस नहीं भरा जा सकता। गैर-नवीकरणीय संसाधन वे संसाधन हैं जो या तो प्राकृतिक रूप से नहीं बनते या फिर बनने में बहुत ही ज्यादा लम्बा समय लेते हैं। हमारे पर्यावरण में मौजूद विभिन्न किस्म के जैविक व अजैविक घटकों के बीच हमें एक संतुलन बनाए रखने की जरूरत है, अगर यह संतुलन बिगड़ गया तो हम इंसानों पर भी इसका असर होगा। इसीलिए प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल सोच-समझकर करने की जरूरत है ताकि भविष्य में इस्तेमाल के लिए भी वे बचे रहें।

[Contributed by administrator on 10. Januar 2018 21:33:22]