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शाम को बहुत सारे लोग पेड़ के चबूतरे के आस-पास इकट्ठे हुए। बाबा ने प्रवचन शुरू किया, “... और यक्ष ने राजा से पूछा, हे राजन! कौन है जो आसमान से भी ऊँचा है?” बाबा ने नाटकीय ढंग से बोलते हुए सबकी ओर नज़र घुमाई, फिर आगे बोले, “पिता, एक पिता आसमान से भी ऊँचा है, राजा बोला....”


पर बाबा” पीछे बैठी हुई एक लड़की बोल उठी। सभी लोग उस लड़की को घूरने लगे, कुछ आश्चर्य से और कुछ गुस्से में।


अगर पिता, शराब के नशे में घर आए और मारपीट करे, तो भी क्या वह आसमान से ऊँचा है?” स्वप्ना बोली। उसके सवाल से सन्नाटा छा गया और सभी चकित रह गए।


तुम्हें लगता है तुम हमसे ज़्यादा जानती हो? वेद पुराण पढ़े भी हैं तुमने?” बाबा झुँझला कर चिल्लाए।
 

स्वप्ना समझ गई कि चुप रहने में ही भलाई है। उसने देखा कि कुछ बच्चे उस पर हँस रहे थे और कुछ बड़े-बूढ़े उसे आँख दिखा रहे थे।

[Contributed by on 21. März 2018 12:08:27]


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