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Values Stories (obsolete)

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17.2 भाऊ भटक गया है



                                                            







                                         bhau







अरुण सर के घर हर वक्त स्कूल के विद्यार्थी पढ़ने आते रहते थे। न चाहते हुए भी भाऊ का ध्यान उनकी तरफ चला जाता। धीरे-धीरे वह अपने मन से पढ़ने-लिखने की कोशिश करने लगा। उसकी दिलचस्पी देखकर, अरुण सर उसे घर पर ही पढ़ाने लगे। उनकी मदद से भाऊ ने चौथी कक्षा की परीक्षा पास कर ली और फिर से स्कूल जाने लगा। अब भाऊ मन लगाकर पढ़ने लगा। बारहवीं की परीक्षा में उसे बहुत अच्छे नंबर मिले। सोनाबाई और अरुण सर, दोनों को उस पर गर्व हुआ। उन्हें लगा, चलो आखिर लड़का सुधर गया है, अब उसका भविष्य उज्ज्वल होगा।

 

गाँव में कॉलेज नहीं था इसलिए अरुण सर ने उसे शहर में अपनी बहन सुमन के घर रहने भेज दिया। वह पढ़ाई के साथ-साथ सुमन दीदी के घर का काम भी करता था। पर एक ही वर्ष में गाड़ी पटरी से उतर गई। भाऊ पर फिर से आज़ादी का नशा सवार हो गया। सुमन दीदी देख रही थी कि भाऊ पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता था और मटर-गश्ती करता रहता था। एक बार उन्होंने भाऊ को बीड़ी फूँकते देख लिया। अब बात बर्दाशत से बाहर हो गई थी। उन्होंने सोनाबाई को बुलावा भेजा। जिस लड़के को अपने ही भविष्य की चिंता न हो वह उसकी मदद नहीं करना चाहती थी।
                                              
bhau

[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org, richa.pandey@clixindia.org on 8. März 2018 15:43:12]