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Values Stories (obsolete)

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9.1 लड़के और टोलियाँ



दीपक की डायरी

सुनीता की तरह दीपक भी अपने मन की बातें एक डायरी में लिखता है। दीपक कक्षा 10 में पढ़ता है और छत्तीसगढ़ के एक गाँव में रहता है। यह है उसकी डायरी का एक पन्ना।

 

आज जो मैंने देखा, मुझे उस पर विश्वास नहीं हो रहा था। लोकेश, सुनील और उसकी टोली के साथ कैसे घूम सकता है! वह बहुत सच्चा और ईमानदार विद्यार्थी है। क्या उसे इस बात की चिंता नहीं है, कि लोग उसके बारे में क्या कहेंगे? सब लोग उसे अच्छा लड़का समझते हैं।  सुनील तो अक्सर बीड़ी पीता है और लड़ता रहता है। एक बार मैंने उसे तालाब के पास पेड़ के नीचे बीड़ी पीते देखा था। उसने मुझे भी बीड़ी पीने को कहा, परंतु मैंने यह कहते हुए मना कर दिया कि मुझे घर जाने की जल्दी है। वह मुझ पर हँसा और कहने लगा कि मैं डरपोक हूँ और मर्दों जैसा व्यवहार नहीं कर रहा हूँ। वह मुझे छेड़ने लगा कि मुझे अपना नाम दीपक से बदलकर दीपिका रख लेना चाहिए। उसने यह बात अपनी टोली के दूसरे लड़कों को भी बता दी। अब वे सभी मुझे छेड़ते हैं और दीपिका कहकर बुलाते हैं। मैं भी स्कूल में लोकप्रिय होना चाहता हूँ और किसी टोली के साथ जुड़ना चाहता हूँ। परंतु मुझे बीड़ी की बदबू बहुत बुरी लगती है। उस धुएँ से मुझे ऐसा लगता है कि जैसे उल्टी होने वाली है। कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि सब लोग तो बीड़ी या सिगरेट नहीं पीते। तो फिर मर्द बनने के लिए मुझे बीड़ी पीने की ज़रूरत क्यों है? मुझे बहुत बुरा लगता है जब वे मुझे छेड़ते हैं। मैं अपने आँसुओं को रोकने की कोशिश करता हूँ। यदि वे मुझे रोता हुआ देख लेंगे तो और भी ज़्यादा चिढ़ाएँगे। मुझे याद है जब सुनील को गणित में कम नंबर मिले थे तो वह रोया था। तब उन्होंने उसका मज़ाक उड़ाया था कि वह लड़कियों की तरह रो रहा है।

  
                                                                          
Sunil

[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org, richa.pandey@clixindia.org on 21. März 2018 18:17:40]