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Values Stories (obsolete)

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11.1 सुझाव 1 और 2


प्रकाश को गुस्सा क्यों आता है? भाग 2

प्रकाश की तरह हमें भी अक्सर लगता है कि हमारे साथ नाइन्साफ़ी हो रही है। ऐसी परिस्थितियों में हमें ग़ुस्सा आता है और हम खुद पर काबू नहीं रख पाते। उस समय हमारे मन में तरह-तरह की परेशान करनेवाली भावनाएँ उमड़ती हैं - गु़स्सा, चिड़चिड़ाहट, लाचारी, जलन, डर, अपमान, आदि। यह सीखना ज़रूरी है कि इन भावनाओं को दूर रखकर झगड़े या मनमुटाव से कैसे निपटा जाए। यहाँ कुछ ऐसे उपाय या तरीक़े सुझाए गए हैं जो इसमें आपकी मदद करेंगे।

दस तक गिनें

अगली बार जब आप बहुत ही गु़स्से में हों या परेशान हों, तो कुछ बोलने से पहले या हाथ उठाने से पहले एक लंबी साँस लें और धीरे-धीरे मन में एक से दस तक गिनती करें। इससे आपको शांत होने का थोड़ा समय मिलेगा। फिर आप ऎसी बात या ऎसे काम नहीं करेंगे जिससे आपको बाद में पछताना पड़े। यह उपाय सचमुच असरदार है, कोशिश करके देखिए! एक बार आपका दिमाग़ ठंड़ा हो जाए तो शायद आपको झगड़े से निपटने का कोई और रास्ता सूझेगा जिससे बात बिगड़ेगी भी नहीं और समाधान भी हो जाएगा।

दूर चले जाएँ

दूसरा उपाय है झगड़े से दूर रहना। आप झगड़े की जगह से ही दूर चले जाएँ तो दिमाग़ को ठंड़ा करने का मौक़ा मिलेगा। पर ध्यान रहे कि आपका व्यवहार रूखा न लगे। कुछ देर के लिए उस बात के बारे में सोचना छोड़ दें। बाद में उस बात के बारे में ठंड़े दिमाग़ से सोचें। फिर आप महसूस करेंगे कि जिस बात पर आपको गुस्सा आ रहा था, वह शायद उतनी बड़ी नहीं थी। आप उसे दूसरे नज़रिए से देख पाएँगे। थोड़ा समय बीतने पर, अक्सर उसी समस्या के नए समाधान या समझौते के रास्ते सूझते हैं। अगर इन तरीक़ों से समस्या हल न भी हो, फिर भी वह पहले से ज़्यादा बिगड़ेगी तो नहीं।

[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org, richa.pandey@clixindia.org on 21. März 2018 18:32:50]