clix - Values Stories (obsolete)
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Values Stories (obsolete)

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10.3 प्रकाश चीखना चाहता है


आजकल उसके माता-पिता, दादा-दादी, सब इन मेहमानों की देखभाल में व्यस्त रहते हैं। माँ तो उठते ही उनकी आव-भगत में लग जाती है। ऊपर से उसे भी छोटे-मोटे काम के लिए इधर-उधर भगाती रहती है। माँ ने यह भी कह रखा है कि अगर लाला उसकी कोई भी चीज़ इस्तेमाल करना चाहे - किताबें, खिलौने, कपड़े - तो उसे नाराज़गी नहीं जतानी चाहिए। पर जो बात सबसे ज़्यादा खटकती है वह है हर वक़्त लाला और उसके बीच होने वाली तुलना। लाला कितना तमीज़ से बोलता है, पढ़ाई में कितना आगे है, कितना आज्ञाकारी है, कितना मेहनती है, इत्यादि। दादाजी ने लाला के सामने बताया कि प्रकाश को पिछली परीक्षा में काफी कम अंक मिले थे। यह बात प्रकाश सहन नहीं कर सका। उसे लगा कि हमेशा के लिए घर छोड़कर कहीं चला जाए ताकि इन सबसे छुटकारा मिल जाए।

फिर जलेबी के केवल दो टुकड़े! प्रकाश थाली धकेलकर खड़ा हो गया। इतना ग़ुस्सा आ रहा था कि भूख मर गई। माँ ने उसे बुलाया। वहाँ पिताजी भी चिल्लाने लगे, ‘‘आजकल इस लड़के को क्या हो गया है? पहले इतना बदतमीज़ नहीं था।’’ प्रकाश घर से बाहर निकला और हाथ में गेंद लिए खेलने लगा। गेंद को बार-बार दीवार पर पटकता रहा। उसका मन कर रहा था कि वह ज़ोर से चीखे और चिल्लाए।
                            Pranjol

[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org, richa.pandey@clixindia.org on 21. März 2018 18:26:34]