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Values Stories (obsolete)

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15.3 ज़ोहरा की कहानी


क़िस्सा 3

ज़ोहरा की ख़ासीयत ही उसकी आफत बन गई है। टीचर को पढ़ाई-लिखाई में ध्यान देनेवाली, सुशील, शांत लड़कियाँ पसंद हैं - जैसे कि रेशमा और सुजाता, जो सभी विषयों में अच्छी हैं। ज़ोहरा तो बस शरारत की पुड़िया है! ऊपर से वह दूसरी लड़कियों को भी बिगाड़ती है। ऎसा क्यों है? क्योंकि ज़ोहरा अव्वल नंबर की मसख़री है। जब भी देखो, हँसी-मज़ाक में मस्त रहती है। किसीको दो मिनट भी देख ले, तो तुरंत उसकी नक़ल उतार सकती है - हाल-चाल और आवाज़ की हूबहू नक़ल! बातें बनाने में इतनी माहिर है कि सीधा-सा क़िस्सा सुनाए तो भी लोग हँस-हँस कर लोट-पोट हो जाते हैं। शिक्षकों और ज़्यादातर बड़ों को लगता है, कि वह अपना और दूसरों का वक़्त बरबाद करती है। सब उसे कहते हैं ‘‘कभी तो शांत और गंभीर रहा करो, ज़िंदगी कोई मज़ाक है क्या?’’ अपनी इन आदतों की वजह से उसे टीचर से कई बार सज़ा मिली है। घर पर माँ से भी बहुत डाँट सुननी पड़ती है। धीरे-धीरे ज़ोहरा एक मज़ाकपसंद लड़की से गुमसुम और दुखी लड़की में बदल रही है।

scene
 

अपने दोस्तों के साथ इन प्रश्नों के बारे में चर्चा करें।

  • क्या आपको लगता है ज़ोहरा में कोई ख़ास हुनर या कला है?

  • क्या ऐसे ही हुनर के दम पर आपने लोगों को सफल होते और नाम कमाते देखा है? कैसे?

  • क्या ज़ोहरा के प्रति बड़ों का व्यवहार सही है? इसका ज़ोहरा पर क्या असर पड़ रहा है?

  • लोगों की उसके बारे में राय बदल जाए और साथ-साथ वह ख़ुश भी रह सके - यह दोनों बातें संभव हो सकें, इसके लिए ज़ोहरा को क्या करना चाहिए?

  • अगर वह आपसे पूछे, तो आप उसे क्या सलाह देंगे?
     

[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org, richa.pandey@clixindia.org on 22. März 2018 15:20:17]