clix - Values Stories (obsolete)
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Values Stories (obsolete)

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6.3 मेरा भविष्य कैसा होगा?



किशोर अपने सपनों की दुनिया से जाग कर सड़क पर चलने लगा। क्या फ़ायदा शेखचिल्ली की तरह सपने देखने का! वास्तव में उसे भविष्य की बड़ी चिंता है। क्या पता, शायद उसे भी स्कूल के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़े। फैक्ट्री से मिला मुआवज़ा, अस्पताल का ख़र्चा देने के लिए भी पूरा न पड़ा। अस्पतालवाले कह रहे थे कि पापा को नकली हाथ लगाएँगे, पर पैसे कहाँ हैं? वैसे भी माँ कमर तोड़ काम कर रही है, और काम कैसे करेगी? दो घर के काम से लतादीदी भी क्या ख़ास कमा सकती है? क्या उसे अख़बार बाँटने के साथ-साथ और एक काम ढूँढ़ना पड़ेगा? क्या छोटू को भी कुछ काम करना पड़ेगा? क्या पापा कभी ठीक होंगे या फिर ऐसे ही चलता रहेगा?

 

समीर भी चाँद के सफ़र से ज़मीन पर आ गया। सच कहो तो अंतरिक्ष-यात्री बनना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए पढ़ाई में अव्वल नंबर होना ज़रूरी है, और पिछले इम्तहान में तो उसे इतने अच्छे अंक नहीं मिले थे। खैर, छोड़ो! अगर वह अंतरिक्ष-यात्री न बन सका, तो वह पापा की फैक्ट्रियाँ संभाल सकता है। बाद में ये फैक्ट्रियाँ उसी की तो होंगी! फिर गाँव में इतनी सारी ज़मीन भी तो है। अगर वह ज़मीन बेच दे, तो कम से कम एक हेलिकॉप्टर ख़रीद कर आकाश में उड़ने का सपना पूरा कर सकता है। आकाश से पृथ्वी कितनी सुंदर दिखेगी!
                                                   kish

[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org, richa.pandey@clixindia.org on 21. März 2018 12:31:58]