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Values Stories (obsolete)

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6.2 कंप्यूटर और अंतरिक्ष-यान



चलते-चलते किशोर की नज़र एक कंप्यूटर क्लास पर पड़ी। शीशे की बड़ी खिड़की से वह कंप्यूटर सीखने वाले लोगों को देखने लगा। उसने सोचा, ‘‘काश मैं उनमें से एक होता! सब कहते हैं कि आजकल कंप्यूटर की जानकारी के बिना कोई भी अच्छी नौकरी नहीं मिलती।” अगर वह कंप्यूटर चलाना सीख जाए और उसे अच्छी नौकरी मिल जाए, तो वह बहुत कुछ कर सकता है! पक्का घर बना सकता है और अच्छे डॉक्टर से पापा का इलाज करवा सकता है। फिर माँ को तीन घरों में काम नहीं करना पड़ेगा। लतादीदी अपनी पढ़ाई जारी रख सकती है। कितनी तेज़ है वह पढ़ाई में! माँ कह रही थी कि अगले साल से दीदी को पढ़ाई छोड़ कर उनकी तरह लोगों के घरों में काम करना पड़ेगा। वह छोटू को क्रिकेट कोचिंग में भी भेज पाएगा। शायद एक दिन छोटू राहुल द्रविड से भी बड़ा क्रिकेटर बन जाए!

 

समीर की कार एक सिनेमा हॉल के पास से गुज़री। वहाँ पर चाँद पर जाने के बारे में एक फिल्म चल रही है। ‘‘हाय! अंतरिक्ष-यान में बैठ कर उड़ने में क्या मज़ा आता होगा!’’ वह सोचने लगा। उसकी इच्छा है कि वह अंतरिक्ष-यात्री बने। अगर वह चाँद पर पहुँचा तो उसका दुनिया भर में नाम होगा। फिर वह एक नहीं, दो-दो गाड़ियाँ ख़रीदेगा - एक लाल और एक सुनेहरी। वह आलीशान होटल-नुमा जहाज़ का टिकट ख़रीद कर माँ और पापा को दुनिया की सैर करने भेजेगा। रत्नादीदी का अपना अस्पताल बनाने का सपना पूरा करेगा। छोटी के लिये ढ़ेर सारे खिलौने ख़रीदेगा - पूरी दुकान भर खिलौने! ख़ुद के लिए सबसे बढ़िया कंप्यूटर ख़रीदेगा जिसमें हज़ारों विडियो गेम्स होंगे। फिर वह विभिन्न देशों में क्रिकेट विश्व कप के खेल देखने जाएगा। क्रिकेट की टीमें उसे चाय-नाश्ते के लिए बुलाएँगी। वह आज ही पापा से पूछेगा कि अंतरिक्ष-यात्री बनने के लिए कहाँ और कौन-सी पढ़ाई करने की ज़रूरत है। दादाजी ने उसके नाम जो पैसे छोड़ रखे हैं, उनसे वह कहीं भी जा कर पढ़ सकता है। अगर उतने पैसे कम पड़े, तो बाक़ी के पैसे पापा दे देंगे।

                                                                 kish

[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org, richa.pandey@clixindia.org on 21. März 2018 12:30:00]