clix - Values Stories (obsolete)
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Values Stories (obsolete)

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Half child half adult Part 2, Page 5

पत्र 5

माँ अपनी ख़ास सहेली के सामने हमेशा हमारी चुगली करती रहती है। वह कहती है कि हम हर वक़्त शीशे के सामने इतराते रहते हैं। यह ग़लत है। अगर हम अच्छा दिखना चाहते हैं, तो इसमें क्या बुराई है? मैं बालों में क्रीम लगाता हूँ तो कहती कि है कि मैं भूत जैसा दिख रहा हूँ। जब रेशमा मेक-अप करती है तो माँ उसे डायन कहती है। सच में, रेशमा कुछ ज़्यादा ही मेक-अप करती है! पर मुझे लगता है कि मैं जो कुछ करता हूँ वह अच्छी स्टाइल है! हमारे माता-पिता के ज़माने में क्रीम, मेक-अप नहीं लगाते थे, तो हम भी उनकी तरह भोंदू क्यों दिखें? रेशमा और मैं स्कूल के बाद मेहनत से काम करके पैसे कमाने लगे। हम अपना पैसा अपनी पसंद की चीज़ों पर खर्च क्यों न करें? माँ कहती है कि कमाई बैंक में जमा करवाओ। अरे! पैसों के बारे में सोचने के लिए तो पूरी ज़िंदगी पड़ी है। अभी तो मैंने कमाना शुरू किया है। आज मौज नहीं करूँगा तो कब करूँगा? पर रेशमा ज़रा पागल ही है। हर वक़्त खुद को निहारती रहती है और रोती रहती है कि वह बदसूरत है। मेरा तो कहना है, स्टाइल से रहो और ख़ुश रहो! रोते रहोगे तो बदसूरत ही दिखोगे न?

[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org on 21. Juli 2024 19:54:19]