clix - Values Stories (obsolete)
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Values Stories (obsolete)

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2.4 खुद को स्वीकार करना


"अब मैं समझ गया!", कौए ने कहा, "तैरने और इंसानों की आवाज़ की नकल करने के बजाय, मैं अब औज़ारों का उपयोग करूँगा और उन चीज़ों पर ध्यान दूँगा, जो कौए कर सकते हैं।"

बादल ने कहा, "ठीक है, अब मैं समझ गया कि मुझे दूसरे लोगों से अपनी तुलना नहीं करनी चाहिए और जैसा मैं हूँ, अपनेआप को उसी रूप में स्वीकार कर लेना चाहिए। लोग कहते रहते हैं कि मुझे चुस्त होना चाहिए और तंदुरुस्त रहने के लिए व्यायाम करना चाहिए। लेकिन अब मैं किसी की सुनने वाला नहीं हूँ। मुझे खुद को बदलने की ज़रूरत नहीं है।" रिमझिम ने अपनी भौएँ चढ़ाकर कहा, "खुद को उसी रूप में स्वीकार करने का यह मतलब नहीं है कि हम अपनेआप को सुधारने की कोशिश न करें। इसका मतलब है कि हमें बेमतलब तुलना नहीं करनी चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति अपनी तरह से अलग होता है। अगर हमें लगे कि दूसरे हमसे बेहतर हैं, तो खुद पर तरस नहीं खाना चाहिए। और यदि हमें लगे कि हम दूसरों से बेहतर हैं, तो घमंड नहीं करना चाहिए। अपने गुणों पर काम करना चाहिए और खुद को सुधारते रहने चाहिए।" "हाँ रिमझिम, इतनी अच्छी तरह समझाने के लिए धन्यवाद। मुझे आज से ही व्यायाम करना शुरू कर देना चाहिए, ताकि अगले महीने होने वाले खेलों के लिए मैं चुन लिया जाऊँ," बादल ने कहा।
 

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[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org, richa.pandey@clixindia.org on 6. April 2018 16:49:25]