clix - Values Stories (obsolete)
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Values Stories (obsolete)

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SUNITA_JOURNAL_HINDI_PART_2



Sunita

मेरी तो बड़ी इच्छा है कि जिले के कॉलेज में पढ़ने जाऊँ। क्या पढ़ना है यह तो नहीं पता, पर किसी बड़ी जगह में रहने की इच्छा होती है। जब जग्गू चाचा की शादी में गए थे, तब देखा था मैंने। लड़कियाँ स्कूटर चला रही थीं और दोस्तों के साथ ठेले पर खड़े होकर पानी-पूड़ी खा रही थीं। कितना मज़ा आता होगा ना दोस्तों के साथ घूमने में। मुझे तो स्कूल से आते ही बरतन धोने पड़ते हैं। बाबू तो शाम तक खेलता रहता है। अंधेरा भी हो जाए, तो घर देर से आने पर कोई उसे नहीं डाँटता। सारे नियम लड़कियों के लिए ही क्यों होते हैं?

 

मम्मी की बातें तो मुझे समझ ही नहीं आती। कभी डाँटकर कहती है “बड़ी होती जा रही है पर उठने-बैठने की तमीज़ नहीं है” और बाज़ार जाने की बात करूँ तो फट से बोलती है, “अभी तू इतनी बड़ी नहीं हुई कि अकेली बाज़ार जा सके।” मैं बड़ी हूँ या छोटी हूँ समझ ही नहीं आता।   

[Contributed by ankit.dwivedi@clixindia.org on 3. März 2018 11:38:38]